जादुई
दस्ताना
लेखिका: लीदिया
चार्स्काया
अनुवाद: आ. चारुमति
रामदास
I
कभी दुनिया में एक नाइट
(सामंत) रहता था, वह बड़ा खूँखार और ज़ालिम था. वह इतना खूँखार था कि सब उससे डरते
थे, सब – अपने भी और पराए भी. जब वह घोड़े पर बैठकर रास्ते के या शहर के चौक के
बीचोंबीच प्रकट होता, तो लोग इधर-उधर भागने लगते; रास्ते और चौराहे ख़ाली हो जाते.
नाइट से डरने का कारण भी था! अगर कोई किस्मत की मार से उसके रास्ते में आ जाता, या
असावधानीवश उसका रास्ता काटता, तो पलक झपकते ही खूँख़ार नाइट उस अभागे को घोड़े की
टापों के नीचे कुचल देता या अपनी भारी, तेज़ तलवार उसके आरपार घुसा देता.
ऊँचा और दुबला-पतला, आग की
लपटें फेंकती आँखें, गंभीरतापूर्वक तनी हुई भँवे, गुस्से के कारण टेढ़ा हो गया चेहरा,
वह सबको बड़ा ख़ौफ़नाक लगता था. जब तैश में होता, तो वह बिल्कुल दया नहीं दिखाता,
ख़तरनाक हो जाता और सबसे डरावनी सज़ा देता – उन्हें भी जो उसके गुस्से का कारण बनते,
और उन्हें भी जो इस समय उसकी नज़रों में पड़ते. मगर सम्राट से इस ज़ालिम नाइट की
शिकायत करना बेकार था: सम्राट को अपने इस खूँख़ार नाइट पर बड़ा नाज़ था, क्योंकि वह
बहुत क़ाबिल कमाण्डर था. उसके नेतृत्व में कई बार सम्राट की फ़ौजों ने दुश्मन पर
विजय प्राप्त की थी और कई देशों को अपने आधीन कर लिया था. इसीलिए सम्राट खूँख़ार
नाइट की बहुत इज़्ज़त करता था और उसे वह करने की आज़ादी देता था, जो औरों को नहीं
मिलती थी. दूसरे नाइट्स और योद्धा, हालाँकि खूँखार नाइट को प्यार नहीं करते थे,
मगर उसकी बहादुरी की, बुद्धिमानी की, और सम्राट तथा देश के प्रति वफ़ादारी की इज़्ज़त
करते थे....
II
युद्ध समाप्ति की ओर बढ़
रहा था.
घोड़े पर सवार खूँखार नाइट,
सोने के बख़्तरबन्द में, अपनी सेना की टुकड़ियों के बीच में घूम रहा था, अपने थके
हुए और पस्त सैनिकों का उत्साह बढ़ा रहा था.
इस बार का युद्ध बहुत कठिन
और भारी था. तीन दिनों से सैनिक खूँख़ार नाइट के नेतृत्व में लड़ रहे थे, मगर जीत
नज़र नहीं आ रही थी. सम्राट के राज्य पर आक्रमण करने वाले दुश्मनों के पास ज़्यादा
सेना थी. बस एक-दो मिनट बाद दुश्मन इन्हें हराकर सीधे राजमहल में प्रवेश कर लेता.
खूँखार नाइट बेकार ही में
युद्ध के मैदान में इधर-उधर घूम-घूम कर कभी धमकाते हुए, तो कभी पुचकारते हुए अपने
सैनिकों को बची-खुची पूरी ताक़त से दुश्मनों को भगाने के लिए मना रहा था.
अचानक नाइट के घोड़े ने
ज़मीन पर एक लोहे के दस्ताने को पड़े हुए देखा और वह एक ओर को हट गया. ये ऐसा
दस्ताना था जैसे उस समय सभी नाइट्स पहनते थे. खूँख़ार नाइट ने घोड़े की लगाम खींची,
जिससे कि वह दस्ताने के ऊपर से छलांग लगा दे, मगर घोड़ा अपनी जगह से टस से मस नहीं
हुआ. तब नाइट ने एक हथियारबन्द नौजवान को आज्ञा दी कि दस्ताना उठाकर उसे दे दे.
मगर जैसे ही नाइट ने दस्ताने को छुआ, दस्ताना उसके हाथ से ऐसे उछला, जैसे ज़िन्दा
हो, और फिर से ज़मीन पे गिर गया.
नाइट ने फिर से उसे
दस्ताना देने की आज्ञा दी – मगर फिर वैसा ही हुआ. ऊपर से: ज़मीन पे गिरने के बाद
लोहे का दस्ताना कुछ हलचल करने लगा, मानो वह दस्ताना नहीं, बल्कि कोई ज़िन्दा हाथ
हो; उसकी उँगलियाँ थरथराते हुए खुल गईं. नाइट ने फिर से उसे उठाने की आज्ञा दी और
इस बार, उसे हाथ में कसकर पकड़ा और हवा में दस्ताना हिलाते हुए अपनी फ़ौज की सामने वाली
पंक्तियों में घूमने लगा. हर बार, जब वह दस्ताने को ऊपर उठाता, दस्ताने की
उँगलियाँ कभी खुलतीं और कभी बन्द हो जातीं, और उसी क्षण, जैसे उन्हें कोई सिग्नल
मिला हो, फ़ौजें नए उत्साह से दुश्मन पर टूट पड़ीं. जहाँ भी नाइट अपने दस्ताने के
साथ जाता – उसके थके हुए और पीड़ित सैनिक मानो जी उठते और दुगुनी ताक़त से दुश्मन पर
टूट पड़ते. कुछ ही मिनट बीते थे कि दुश्मन भागने लगा और खूँखार नाइट के दूत जीत के
बिगुल बजाने लगे...
विजय का जश्न मनाते हुए
स्वाभिमानी नाइट अपनी थकी हुई और पीड़ित सेना की सभी पंक्तियों में घूम-घूमकर पूछने
लगा कि ये विचित्र दस्ताना किसका है, मगर उनमें से किसीने भी आज तक ऐसा दस्ताना
नहीं देखा था, कोई नहीं जानता था कि वह कहाँ से आया था...
III
खूँख़ार नाइट ने निश्चय
किया कि चाहे जो भी हो जाए, वह ढूँढ़कर रहेगा कि दस्ताना किसका है, और वह शहर-शहर,
गाँव-गाँव, और देहात-देहात जाकर हवा में दस्ताना हिलाते हुए पूछता कि वह किसका है.
जादुई दस्ताने का मालिक कहीं भी नहीं मिला. एक शहर में नाइट के सामने एक लड़का आया
और कहने लगा:
“ मैंने अपने दद्दू से सुना है कि जंगल में
बुढ़िया माब रहती है. वह दुनिया के सारे भेद जानती है, हो सकता है कि वह तुम्हें इस
जादुई दस्ताने का राज़ बता सके.”
“चलो, उसके पास चलते हैं!” नाइट ने गंभीरता से
आज्ञा दी, और घोड़े को ऐड लगाते हुए खूँखार नाइट जंगल की ओर चल पड़ा. आज्ञाकारी
सैनिक उसके पीछे चल पड़े.
बुढ़िया माब घने, अंधेरे
जंगल के बिल्कुल बीच में रहती थी. बुढ़ापे के कारण वह मुश्किल से चल-फिर सकती थी.
जब उसने दस्ताने को देखा तो उसकी आँखें मानो जलने लगीं, जैसे रात के अंधेरे में
कोई मशाल जल उठी हो, जोश और प्रसन्नता से वह लाल हो गई.
“ऐ भले नाइट, तेरे हाथों में बड़ा-भारी सुख आया
है,” उसने धीमी आवाज़ में कहा. “सबको ऐसा ख़ज़ाना नहीं मिलता! ये जादुई दस्ताना है –
विजय का दस्ताना...क़िस्मत ने इसे जानबूझकर तेरे रास्ते में फेंका है. जब भी तू इसे
पहनेगा, तेरी विजय होगी!”
खूँखार नाइट का चेहरा ख़ुशी
से दमकने लगा. उसने हाथ में दस्ताना पहना, माब को इनाम में ख़ूब सारा सोना दिया और
उस ऊँघते हुए जंगल से निकलकर राजधानी की ओर चल पड़ा.
IV
एक हफ़्ता बीता.
खूँख़ार नाइट के क्रूर
किस्सों के बारे में कोई ख़बर नहीं थी, अब ये सुनाई नहीं देता था कि उसने गुस्से
में किसी को मृत्युदण्ड दिया हो, या उसने किसी का अपमान किया हो.
अभी कुछ ही दिन पहले तो
खूँख़ार नाइट के चारों ओर खून की नदियाँ बहती थीं, कराहें सुनाई देती थीं,
रोना-बिसूरना शुरू हो जाता था. मगर अब?
ये सच है कि एक हफ़्ता पहले
नाइट ने किसी राह चलते इन्सान को तलवार से मारने की कोशिश की तो थी. मगर अचानक
उसका हाथ, जिसे दस्ताने की ज़िन्दा ऊँगलियों ने दबोच लिया था, नीचे गिर पड़ा, और
भारी-भरकम तलवार झनझनाहट के साथ ज़मीन पर गिर पड़ी.
नाइट ने उस बौड़म दस्ताने
को हाथ से निकालकर फेंक देना चाहा, मगर उसे फ़ौरन याद आ गया कि वह उसे हमेशा विजय
दिलवाएगा, और उसने अपने आप पर काबू कर लिया.
दूसरी बार नाइट अपने घोड़े
को भीड़ पर चढ़ाना चाहता था और फिर से दस्ताने की ज़िन्दा उँगलियों ने उसके हाथ हो इस
तरह दबाया कि उसमें दर्द होने लगा, वह घोड़े की लगाम पर भी काबू नहीं कर सका. उसी
क्षण से नाइट समझ गया कि जादुई दस्ताने की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाना बेकार है, दस्ताना
उसे क्रूर काम करने से रोकता है. उसने निर्दोष व्यक्तियों को मारने के लिए म्यान
से तलवार निकालना बन्द कर दिया.
अब लोगों को रास्ते पर
खूँख़ार नाइट के सामने पड़ने में डर नहीं लगता था. वे आज़ादी से घरों से बाहर निकल
सकते थे.
वे बिना किसी डर के उसके
रास्ते में आ जाते और दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने के लिए खूँखार नाइट की तारीफ़
करते.
V
फिर से युद्ध छिड़ गया...
सम्राट का एक दूर का
पड़ोसी, एक अमीर देश का शासक, काफ़ी दिनों से नाइट की आँखों में खटक रहा था. उसने
अपने सम्राट से कहा:
“देखो! तुम्हारा दूर का पड़ोसी तुम से ज़्यादा
अमीर है, और हालाँकि तुमने उससे हमेशा दोस्ती और शांति का वादा किया है, मगर यदि
तुम उसे हराकर उसका राज्य ले लेते हो तो तुम दुनिया के सबसे ज़्यादा ताक़तवर और अमीर
सम्राट बन जाओगे.”
सम्राट ने ध्यान से अपने
प्रिय नाइट की बात सुनी. “नाइट ठीक कहता है,” सम्राट ने सोचा, “अपने पड़ोसी का
राज्य जीत लूँगा और उसकी दौलत से ख़ूब अमीर बन जाऊँगा!” उसने नए युद्ध का बिगुल
बजाने की आज्ञा दे दी.
VI
दोनों सेनाएँ युद्ध के
मैदान में आ गईं.
नाइट के सैनिक दूर के
सम्राट के सैनिकों से लड़ने लगे.
नाइट बिल्कुल शांत था और
उसे अपनी विजय में पूरा विश्वास था.
उसे मालूम था कि विजय का
दस्ताना उसके हाथ पर था.
सूरज बार-बार उगता और अस्त
होता. चाँद चमकता और धुँधला हो जाता और फिर चमकता. पंछी गाते, ख़ामोश हो जाते और
फिर से गाते, और लोग निरंतर लड़ते रहते, लड़ते रहते.
लड़ाई लम्बी खिंच रही थी.
ऐसी लम्बी और ज़िद्दी लड़ाई
पहले कभी नहीं हुई थी.
खूँख़ार नाइट युद्ध का
संचालन करते हुए एक किनारे पर खड़ा था, उसे अपनी फ़ौजों की जीत में पूरा विश्वास था.
अचानक एक अनहोनी हो गई:
दुश्मन जीतने लगा और उसकी सेना भागने लगी.
तैश में आकर वह ख़ुद युद्ध
में कूद पड़ा. और...उसे पीछे हटना पड़ा. दुश्मनों ने उसे चारों ओर से घेर लिया था.
पता नहीं कैसे उसने घोड़े
को ऐड लगाई और उसे युद्ध के मैदान से भगाया.
खून से लथपथ नाइट राजधानी पहुँचा और सम्राट के
पैरों पर गिर पड़ा.
“मुझे दोष मत दो, सम्राट!” वह चीख़ा. “तुम्हारी
फ़ौजों के विनाश के लिए मैं नहीं, बल्कि बुढ़िया माब ज़िम्मेदार है. उसने मुझे धोखा
दिया – मुझे मौत और पराजय का दस्ताना पहनने पर मजबूर किया. उसे मृत्युदण्ड दो,
सम्राट, कठोर मृत्युदण्ड. ऐसा ख़ौफ़नाक, जिसकी कल्पना भी न की जा सके!”
VII
सूरज की पहली किरण फूटते
ही पूरा शहर चौक पर आ गया. इस सुबह बुढ़िया माब को मृत्युदण्ड दिया जाने वाला था. बुढ़िया
माब को रात में जंगल से पकड़कर लाया गया था. ये फ़ैसला किया गया था कि माब को आग में
जला दिया जाए जिससे कि वह फिर कभी लोगों को धोखा न दे सके, जीत के दस्ताने के बदले
पराजय का दस्ताना न दे.
माब को चौक पर लाया गया,
उसे गाड़ी से नीचे उतारा गया, ऊँचे प्लेटफॉर्म पर ले जाया गया जहाँ आग जलाने के लिए
लकड़ियाँ जमाई गई थीं.
माब को लकड़ियों के ढेर पर
खड़ा करके एक खंभे से बांध दिया गया. खंभे के ठीक सामने खूँख़ार नाइट खड़ा हो गया और
ज़हरीली हँसी के साथ माब से बोला:
“माब, तूने मुझे धोखा दिया है! इसलिए तुझे
ख़ौफ़नाक मौत मरना होगा! मौत का इशारा मैं उसी दस्ताने से दूँगा जो मुझे, तेरे कहे
अनुसार, विजयी बनाने वाला था.”
इतना कहकर जल्लादों को आग
जलाने का इशारा करने के लिए वह अपना हाथ ऊपर उठाने लगा, और वह भय से चीख़ उठा. उसका
हाथ घूम ही नहीं रहा था. वह बेजान होकर इस तरह नीचे लटक गया, मानो उसे जस्ते में
जकड़ दिया हो. तब उसने मृत्युदण्ड शुरू करने की आज्ञा देने के लिए अपना मुँह खोलना
चाहा, मगर तभी जादुई दस्ताना उसके हाथ सहित ऊपर उठा और उसने कसकर नाइट का मुँह दबा
दिया, नाइट का दम घुटने लगा.
डर से पगलाते हुए नाइट
चिलाया:
“मुझे बचाओ, माब! मुझे बचाओ!”
माब धीरे से लकड़ियों के
ढेर से नीचे उतरी. उसने बगैर कोशिश के रस्सियाँ तोड़ दीं, और, नाइट के पास आकर
बोली:
“मैंने तुमसे झूठ नहीं बोला था. ये जादुई
दस्ताना सचमुच में विजय का दस्ताना है. हर सही काम में ये तुझे हमेशा और हर जगह
जीत दिलाएगा. पिछली लड़ाई में भी ये तुझे जीत ही दिलाता, अगर तूने अपने पड़ोसी
सम्राट की दौलत और उसका राज्य हथियाने की नीयत से उस पर हमला न किया होता. तेरी
जीत ही होती, अगर तू अपने सम्राट की, अपनी मातृभूमि की, अपने सम्मान की रक्षा करने
के लिए युद्ध करता.
तब तेरी हार नहीं होती, क्योंकि
तू अपने आप को सही समझकर एक ईमानदार उद्देश्य के लिए लड़ रहा होता. तू ये बात अच्छी
तरह समझ ले कि ये जादुई दस्ताना सिर्फ नेक और ईमानदारीपूर्ण कामों में ही तेरी मदद
करेगा! जब तू निरपराध लोगों का खून बहाने चला था तो उसने तुझे रोका था या नहीं!
तुझे अपने आप पर विजय दिलाई! उसने तुझे तब भी जिताया था, जब तेरे देश पर ख़तरनाक
दुश्मनों ने आक्रमण कर दिया था. ये आगे भी हमेशा ऐसा ही करता रहेगा!”
इतना कहकर माब परछाई की
तरह ग़ायब हो गई, हवा में घुल गई.
*****
माब की भविष्यवाणी सच हुई.
जादुई दस्ताना नाइट के हर
सही काम में उसकी मदद करता, उसे विजयी बनाता; और हर बार जब वह कोई ग़लत,
अन्यायपूर्ण काम करने जाता तो उसे रोकता.
सारी जनता उसके गुण गाने
लगी, और खूँख़ार नाइट के बदले उसे भला और न्यायप्रिय नाइट कहने लगी.
***
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