क्या सितारे गिरते
हैं?
लेखक :
नतालिया अब्राम्त्सेवा
अनुवाद :
आ. चारुमति रामदास
कुत्ते का पिल्ला
त्याव्का सितारे पकड़ रहा था. त्याव्का बेहद छोटा था, और इसलिए सोचता था कि किसी
नन्हे सितारे को पकड़ना उतना मुश्किल नहीं है. त्याव्का समर कॉटेज में रहता था. समर
कॉटेज की फेन्सिंग उसे बहुत परेशान करती. जब आसमान से कोई सितारा गिरता होता,
त्याव्का रात की नम घास पर लपकता, क्यारियों
को पार करता, फूलों पर भागते हुए, कँटीली
बागड़ फाँद जाता, जहाँ, उसके हिसाब से
गिरे हुए सितारे को होना चाहिए था, और अचानक – फेन्सिंग.
“लगता है, सितारा फेन्सिंग के उस ओर गिरा है”, त्याव्का को गुस्सा आ जाता.
त्याव्का फेन्सिंग
को टालता. एक बार फेन्सिंग से कई बार नाक टकराने के बाद, त्याव्का
ने थोड़ी देर आराम करने का विचार किया और वहीं पर लेट गया. अचानक हँसने की आवाज़
सुनाई दी. त्याव्का ने सिर उठाया तो पड़ोस के बिल्ले को फेन्सिंग पर देखा. बिल्ला
पेट पकड़ कर हँस रहा था.
“बेवकूफ़ पिल्ले!
एकदम बुद्धू है! ये तू कर क्या रहा है?”
“मैं? मैं
सितारे पकड़ रहा हूँ,” त्याव्का ने जवाब दिया, “ वाकई में, कम-से-कम एक तो पकड़ना चाहता हूँ. मगर वे
सब वहाँ नहीं गिरते जहाँ गिरना चाहिए. फेन्सिंग के पीछे गिरते हैं.”
बिल्ला फ़िर से
हँसने लगा:
“बेवकूफ़ पिल्ला!
बिल्कुल बेवकूफ़!”
“क्यों? क्यों
बेवकूफ़ हूँ मैं? मैं सिर्फ फेन्सिंग नहीं फान्द सकता. बिल्ला
फेन्सिंग पर बैठा और खिलखिलाने लगा:
“तू
इसलिए बेवकूफ़ है, क्योंकि तू वो पकड़ रहा है, जिसे पकड़ा नहीं जा सकता!”
“पकड़ा नहीं जा
सकता?”
“बेशक, नहीं
पकड़ा जा सकता,” बिल्ले ने शान से कहा, “तू मेरी बात पर यकीन कर. मैं काफ़ी समय लाइब्रेरी में रह चुका हूँ और खूब
सारी वैज्ञानिक किताबें पढ़ चुका हूँ.”
“तो क्या?” त्याव्का ने विरोध किया. “यहाँ किताबों का क्या काम है? उनमें सितारों के बारे में क्या लिखा है?”
“सितारों के बारे
में कम से कम इतना तो लिखा ही है कि वे गिरते नहीं हैं.”
“बिल्कुल नहीं!
कैसे गिरते हैं! आज ही चार सितारे गिर चुके हैं!”
“वो सितारे नहीं
हैं!” बिल्ले को गुस्सा आने लगा था.
“सितारे कैसे
नहीं हैं?
सितारे हैं – वे सितारे ही हैं,” त्याव्का बहस
करने लगा. बेहद अक्लमन्द बिल्ले ने थककर कहा:
“अब तुझे कैसे
समझाऊँ?
ये सितारे नहीं हैं. ये बड़े-बड़े पत्त्थर होते हैं, जो काफ़ी ऊँचाई पर उड़ते रहते हैं. चाँद से भी ज़्यादा ऊँचाई पर. और जब वे
ज़मीन पर गिरते हैं, तो हवा से घर्षण करते हैं और जल जाते
हैं. समझा?”
“समझ गया. समझ
गया,
कि ये सब ब-क-वा-स है. पत्थर उड़ते हैं, जल
जाते हैं – बकवास! आपने कोई गलत-सलत किताबें पढ़ ली हैं, आदरणीय
बिल्ले जी. मैं चला सितारे पकड़ने. टाSSटा!”
और त्याव्का भाग गया.
बिल्ला उसे देखता रहा और उसने सिर हिला दिया.
“अभी छोटा है. बड़ा
होगा – समझ जाएगा”.
और त्याव्का को बिल्ले
पर अफ़सोस हो रहा था. “बेचारा बिल्ला,” – उसने सोचा, अपनी होशियारी पे बहुत अकड़ रहा है. सितारे और पत्थर में फ़र्क नहीं महसूस कर
सकता”.
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