जादुई ‘ओबी’
लेखिका:
लीदिया चार्स्काया
अनुवाद:
आ. चारुमति रामदास
एक प्रसिद्ध और अमीर
समुराई की (प्राचीन काल में जापान में नाइट्स को, कुलीनों को समुराई कहते थे) की
एक बेटी थी. उसका नाम था हाना. मुसुमे (जापानी भाषा में ‘मुसुमे’ का मतलब है – लड़की.
जापानी भाषा में किसी अविवाहित लड़की को संबोधित करते समय ‘मुसुमे’ कहा जाता है, ठीक
उसी तरह जैसे फ्रांसीसी में माद्मुवाज़ल या जर्मन में फ्रैलेन कहते हैं.) हाना की
सुन्दर काली आँखें थीं, चमकते बाल थे और पतली, मीठी आवाज़ थी.
मुसुमे हाना दिल की बहुत
अच्छी थी, और उसके बारे में जापान में एक अद्भुत कहानी प्रचलित है.
मैंने यह कहानी बूढ़े, भूरे
उकाब से सुनी, जो जापान के एक बड़े शहर के निकट स्थित पवित्र पर्वत फुजियामा के पास
एक चट्टान पर उड़कर आ गया था.
बूढ़ा भूरा उकाब अक्सर उड़कर
समन्दर के किनारे वाली इस नंगी चट्टान पर आ जाता था और कहानियाँ सुनाता.
पिछली बार उसने समुराई की
बेटी हाना की कहानी सुनाई.
मुझे बूढ़े भूरे उकाब की
कहानी याद है, और उसका एक-एक शब्द मैं आपको सुना रही हूँ.
मुसुमे हाना पन्द्रह साल
की थी. सिर्फ पन्द्रह साल की. जब वह सोलह की हो जाएगी तो उसके पिता, जो प्रसिद्ध
समुराई हैं, उसके ज़ारा में (जापानी में कमरे को ज़ारा कहते हैं), बड़े, आरामदेह ज़ारा
में आएँगे और जापानी रिवाज के अनुसार उसके लिए ‘ओबी’ लाएँगे. जानते हो, ‘ओबी’ क्या
होता है?
ये एक कमरबन्द होता है, चौड़ा, रेशमी कमरबन्द, जो
बेहद ख़ूबसूरत और नाज़ुक चटख़ या गुलाबी रंग के कपड़े से बनाया जाता है, जैसे पूरब की
सुबह होती है, या उनींदी धरती पर छाया गुलाबी शाम का धुंधलका. कमरबन्द के दोनों
सिरों पर सोने की घण्टियाँ होती हैं.
जापानी लड़कियाँ ‘ओबी’ को
बहुत महत्व देती हैं. जितने प्रसिद्ध वंश की कोई मुसुमे होती है, उतना ही शानदार
उसका ‘ओबी’ होता है. ख़ूबसूरत, शानदार - उस पर कढ़े होते हैं फूल, पंछी, और पंखे.
ऐसा शानदार ‘ओबी’ किसी साधारण घर की लड़की का नहीं हो सकता; वे बेहद साधारण कमरबन्द
का इस्तेमाल करती हैं. अमीर समुराई, सामंतों की और अफ़सरों की बेटियाँ अपने महंगे,
रेशमी ‘ओबी’ की शान बघारा करती हैं.
जितनी प्रसिद्ध, जितनी
महत्वपूर्ण जापानी लड़की होगी, उतना ही महंगा और शानदार उसका ‘ओबी’ होता है. ‘ओबी’
प्रदर्शित करता है प्रसिद्धी को, पुरखों के सम्मानित ओहदे को और ख़ुद ‘मिकादो’ –
जापानी सम्राट - से उनकी घनिष्ठता को.
मुसुमे हाना कब से ऐसे
‘ओबी’ का इंतज़ार कर रही थी. वह चाहती थी कि उसका ‘ओबी’ नाज़ुक-गुलाबी हो, जैसे नीले
समुन्दर की सतह पर उगते सूरज की चमक, वह कमल के निःश्वास जैसा बेहद हल्का हो, और नर्म
- इतना नर्म जैसे गुलदाऊदी – जापान के अत्यंत लोकप्रिय फूल - की पंखुड़ी हो.
मुसुमे हाना को उम्मीद थी
कि उसका ‘ओबी’ ऐसा ही होगा. उसके पिता बहुत प्रसिद्ध और बेहद अमीर थे, और उनकी
बेटी का ‘ओबी’ बेहद शानदार और क़ीमती ही होगा.
हर बार, जब ‘ओबी’ के बारे
में बात होती तो हाना पिता को याद दिलाती कि उसकी ख़्वाहिश सबसे बढ़िया, सम्राज्ञी
जैसा ‘ओबी’ पाने की है.
एक साल बीत गया.
समुन्दर में ज्वार आया और
वह काला नज़र आने लगा, फिर वह शांत हो गया और बसंत के आते-आते फिर से शांत, शालीन
और ख़ूबसूरत हो गया.
वादियों में कमल के फूल
खिल गए, सफ़ेद और पारदर्शी – नाज़ुक, सुन्दरियों के गालों की तरह.
मुसुमे हाना सोलह साल की
हो गई.
सुबह की पहली किरण के साथ
उसके पिता ज़ारा में आए और उन्होंने उसके हाथों में गुलाबी कागज़ में सफ़ाई से लिपटी
हुई कोई चीज़ रख दी.
“ओबी! ओबी!” हाना चीख़ पड़ी और फ़ौरन उस उपहार को
खोलने लगी.
उसे पूरा यक़ीन था कि उसके
पिता का लाया हुआ ‘ओबी’ बेहद शानदार, ख़ूबसूरत होगा. वह उन सभी ‘ओबी’ से ज़्यादा
क़ीमती होगा जैसे उसने अपनी सहेलियों के पास देखे थे.
मगर, ये क्या?
ख़ूबसूरत ‘ओबी’ के बदले,
जिसकी वह इतनी शिद्दत से राह देख रही थी, उसके हाथ में था बिल्कुल साधारण काला
कमरबन्द; जो ग़रीब लड़कियाँ अपनी साधारण पोषाकों पर बांधती हैं. ऊपर से यह कमरबन्द
पुराने ऊन से बनाया गया था, वह इतना पुराना था कि कई जगहों पर ऊन अपनी जगह से खिसक
गया था और वह किसी गंदे चीथड़े की तरह लग रहा था, जिसे अत्यंत ग़रीब जापानी लड़कियाँ
अपने रोज़मर्रा के किरिमोनो (जापानी औरतों की गाऊन जैसी पोषाक. आधुनिक रूसी भाषा
में – किमोनो) पर बांधती हैं.
“ये क्या है? आप मेरा मज़ाक उड़ा रहे हैं,
पिताजी?” वह चिल्लाई. उसकी आँखें आँसुओं से डबडबा गईं.
मगर प्रसिद्ध समुराई अपनी
मूंछों में हौले से मुस्कुराया, उसने अपने हाथ में ‘ओबी’ लेकर बेटी के शानदार
रेशमी किरिमोनो पर बांध दिया और कहा:
“ये मत देख, मेरी बच्ची, कि मेरा उपहार
सीधा-साधा और सस्ता है. इस ‘ओबी’ के पास अद्भुत, चमत्कारिक शक्ति है. जब तक तुम
इसके भद्देपन से बिना शरमाए इसे पहनती रहोगी, तब तक ये तुम्हारा वफ़ादार सेवक बना
रहेगा. तुझे बस इस साधारण ‘ओबी’ का सिरा अपनी बड़ी ऊँगली पर लपेटना होगा, तो पल भर
में तुम्हारी हर इच्छा पूरी हो जाएगी. ये ‘ओबी’ तेरी माँ को जादूगरनी सुआतो से
मिला था, जो उसकी आया और संरक्षक थी. मगर याद रखना: जैसे ही तुम्हें अपने इस
साधारण ‘ओबी’ पर शरम आएगी और तुम इसके बदले कोई दमकता और सजा-धजा ‘ओबी’ पाना
चाहोगी, इसकी जादुई शक्ति समाप्त हो जाएगी और वह एक भद्दे चीथड़े में बदल जाएगा.
मेरी बात समझ गईं न, बिटिया?”
हाना अपने पिता की हर बात
समझ गई. हाना होशियार और समझदार लड़की थी. अब उसे कोई अफ़सोस नहीं था. उसके हाथों
में कभी न ख़त्म होने वाली दौलत थी, और, वह पूरी तरह ख़ुश थी.
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कुछ दिनों बाद
हँसती-खेलती, तरोताज़ा मुसुमों का झुण्ड समुन्दर के किनारे पर पहुँचा. वे
सुन्दर-सुन्दर सीपियाँ इकट्ठा कर रही थीं और पानी की हरी बेलों से अपने काले बालों
को सजा रही थीं. उन्होंने रंगबिरंगे फूलों वाले चटख रंग के किरिमोनो पहने थे और उन
पर बेहद शानदार ‘ओबी’ बांधे थे. इतने शानदार ‘ओबी’ सिर्फ जापान में ही देखने को
मिलते हैं, क्योंकि ये सब गुलाब जैसी लड़कियाँ ‘दाय-निलोन’ (जैसा कि जापानी देश का
नाम है) के अत्यंत प्रसिद्ध दरबारियों की बेटियाँ थीं.
सिर्फ मुसुमे हाना का
कमरबन्द बेहद साधारण, जर्जर, फटीचर था, जो उसके शानदार किरिमोनो पर बंधा था.
“सुन, हाना!” एक महत्वपूर्ण अधिकारी की सुन्दर
बेटी हाना से बोली. “इस पुराने, गंदे, जर्जर कमरबन्द में तू बिल्कुल भिखारिन लग
रही हो, इसे उतार कर पानी में फेंक दे.
“तूने ये घटिया चीथड़ा क्यों पहना है?”
श्वेत-गुलदाऊदी नामक सुन्दरी, एक प्रसिद्ध कमाण्डर की भतीजी चिल्लाई.
“मुसुमे हाना ग़रीब हो गई है! इसने ‘ओबी’ के बदले
कोई चीथड़ा पहना है! मुसुमे हाना भूल गई है कि उसे, सम्राट के दरबारी की बेटी को,
ऐसा कमरबन्द नहीं पहनना चाहिए. अगर वह इतना भी नहीं जानती तो मुसुमे हाना बहुत बड़ी
बेवकूफ़ है,” मिकादो की दूर की रिश्तेदार गुलाब-कमल ने तैश में आकर कहा.
ओह, ये बहुत ही ज़्यादा हो
रहा था! हर जापानी लड़की की तरह हाना को भी अपने परिवार पर गर्व था. इस तरह के ताने
वह बर्दाश्त नहीं कर पाई. उसने धिक्कारपूर्वक अपनी सहेलियों की ओर देखा उन्हें
अधिकारयुक्त वाणी से आज्ञा दी:
“तुमने जितनी भी सींपियाँ इकट्ठी की हैं, उन्हें
किनारे पर रख दो, और देखो कि उनके साथ क्या होता है.”
गुलाबी मुसुमों ने
अविश्वास से अपने ख़ूबसूरत सिर हिलाए, मगर उन्होंने उसकी बात मानकर अपनी सारी रेत
की सीपियाँ इकट्ठा करके किनारे पर रख दीं और खुसफुसाते हुए दूर हट गईं.
हाना ने सफ़ाई से अपने
कमरबन्द का सिरा बाएँ हाथ की ऊँगली पर लपेट लिया और....ओह, आश्चर्य!
छोटी-छोटी रंगबिरंगी
सीपियाँ पलक झपकते ही सूरज की किरणों में जलते हुए सोने के सिक्कों में बदल गईं.
“ये सिक्के ले लो और आपस में बांट लो!” धृष्ठता
से हाना ने कहा और किसी सम्राज्ञी के ठठ से
वह अपनी सहेलियों से दूर चली गई.
गुलाबी मुसुमे सिक्के
उठाने लगीं, वे जलन भरी नज़रों से जाती हुई हाना को देखती रहीं. वे इस निष्कर्ष पर
पहुँचीं कि उनके सामने कोई सीधी-सादी जापानी मुसुमे नहीं, बल्कि कोई ताक़तवर
जादूगरनी है.
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सुबह का समय था, पूरब की
सुनहरी सुबह का. नीले समुन्दर के पारदर्शी पानी में किसी लापरवाह बच्चे की तरह
सूरज ख़ुशी से तैर रहा था.
मुसुमे हाना चावल के खेतों
के बीच पगडंडी पर जा रही थी. उसके पीछे उसकी सहेलियों का बड़ा झुण्ड चल रहा था.
जबसे उन्हें हाना की ताक़त का पता चला था, वे उससे एक क़दम भी दूर नहीं हटती थीं.
हाना बहुत अमीर थी. हाना बुद्धिमान थी. हाना के पास चमत्कारी ताक़त थी. लोग अमीरी
और बुद्धिमानी को बहुत महत्व देते हैं, और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि अब
मुसुमे हाना के पीछे उसकी हमउम्र लड़कियों के झुण्ड के झुण्ड चला करते थे.
वे चौड़े खेतों से होकर जा
रही थीं, जिन्हें धूप ने जला दिया था. ये खेत बंजर हो चुके थे, उन पर अब कोई भी
फसल नहीं होती थी. देश में अकाल तांडव कर रहा था, और पीले, धूप से झुलसे खेतों में
अनाज का एक भी दाना पैदा नहीं हो रहा था.
मुस्कुराती, गुलाबी-गुलाबी
मुसुमे के रास्ते में भूखे, फटेहाल, ग़रीबी से बदमिजाज़ हो गए लोग आ रहे थे; वे
कर्कश आवाज़ में चिल्लाते:
“ऐ तुम, अमीरों के बच्चों! हमें रोटी के लिए कुछ
पैसा दो! हम भूख से मर रहे हैं.”
हाना का दिल बहुत भला था
और उसकी आत्मा बहुत संवेदनशील थी. संवेदनशील आत्मा थी मुसुमे हाना की.
उसने अपने सारे पैसे भूखे,
गुस्साए लोगों में बांट दिए, और जब उसके पास एक भी येन (येन – जापानी सिक्का) नहीं
बचा, तो उसने चुपके से अपने काले ‘ओबी’ का सिरा ऊँगली पर लपेट लिया, और पलक झपकते
ही पीले खेतों में पके हुए चावल की बालियाँ लहराने लगीं, जो जापानियों का प्रमुख
अनाज है. चावल इत्ते सारे थे कि उससे बड़े से बड़े देश को भी भरपेट खिलाया जा सकता
था.
भूखे लोग फसल इकट्ठा करने
भागे, मगर उनकी ताक़त ने जवाब दे दिया, भूख से बेहाल सूखे बदन किसी तरह की हलचल ही
नहीं कर सके, कमज़ोर हाथ काम करने के लिए उठ ही नहीं पाए.
तब वे मुट्ठियाँ ताने,
धमकाते हुए हाना पर टूट पड़े.
“तू, जादूगरनी!” वे चीख़े. “तू, पापी जादूगरनी!
तूने हमें सिर्फ चिढ़ाने के लिए खाना दिया, मगर हम उसे इकट्ठा ही नहीं कर पा रहे
हैं, इसके लिए हमारे पास ताक़त ही नहीं है! हम तुझे मार डालेंगे!”
उनके चेहरे पर इतनी
क्रूरता थी, उनकी आँखों से ऐसी नफ़रत और कटुता फूट रही थी कि गुलाबी मुसुमे डर के
मारे भाग गईं, और हाना अकेली रह गई.
वह बिल्कुल भी नहीं घबराई,
और उसने फिर से ‘ओबी’ का सिरा अपनी गुलाबी ऊँगली पर लपेट लिया, और चमत्कार हो गया.
चावल के खेत में मज़दूरों
का एक पूरा झुण्ड प्रकट हो गया. उन्होंने पल भर में फसल काट ली और उसका ढेर बना कर
खेत से ले गए. अब भूखे लोग हाना को गालियाँ नहीं दे रहे थे, उसे धमकियाँ नहीं दे
रहे थे.
“पवित्र देवी क्वान-नान!” वे चिल्लाए. “इस बच्ची
पर दया करो! ऐ, भली आत्माओं, हर काम में इसकी मदद करो!”
और वे अनाज ले जाते हुए
मज़दूरों के पीछे भागे.
हाना अकेली रह गई.
अचानक हाना के कानों में
कोई गीत गूंजा, जो सपने जैसा मीठा था. नौजवान मुसुमे अपनी जगह पर जैसे जम गई. उसकी
आत्मा जोश से भर गई, उसका समूचा अस्तित्व जैसे गीत की आवाज़ बन गया.
आवाज़ बगल वाली फुलवारी से
आ रही थी, जो उस जगह से कुछ ही दूर था, जहाँ वह खड़ी थी.
इस स्वर्गीय संगीत से मुग्ध
होकर हाना बड़ी देर तक ठगी सी खड़ी रही. गीत से कभी लहर की शांत, दुलार सुनाई देती,
कभी कमल के खेतों की फुसफुसाहट, या कभी जापानियों के प्रिय वाद्य “शे” की आवाज़
सुनाई पड़ती.
नौजवान मुसुमे फुलवारी की
ओर बढ़ी और सौ साल पुराने भव्य वृक्ष के सामने भौंचक्की सी खड़ी रह गई, जिसके तने के
पास साधारण कपडों में एक ख़ूबसूरत नौजवान बैठा था. वो ही तो इतना मीठा गीत गा रहा
था कि इन्सान अनचाहे ही उसके गीतों में खो जाता था.
“नमस्ते, नौजवान!” हाना ने गायक की ओर ग़ौर से
देखते हुए कहा.
“नमस्ते, सुन्दरी मुसुमे!” उसने प्यार से जवाब
दिया.
”ये यहाँ, अकेले बैठकर तुम
क्या गा रहे हो?” हाना ने दुबारा पूछा.
“मैं वह गीत बना रहा हूँ, जो मैं मिकादो के महल
में उत्सव वाले दिन गाने वाला हूँ,” उसने जवाब दिया. “तुम्हें तो मालूम है, ऐ हसीन
मुसुमे, कि हमारे महान सम्राट और शासक अपने बेटे, सिंहासन के उत्तराधिकारी का
विवाह करवाना चाहते हैं. अगली दूज के चांद को मिकादो के राजमहल में दाय-निलोन की
सभी प्रसिद्ध सुन्दरियाँ इकट्ठा होने वाली हैं, उन्हींमें से एक को राजकुमार अपनी
पत्नी के रूप में चुनेगा. इस सौभाग्यशाली मुसुमे के लिए मुझे प्रशंसा गीत गाना
होगा.
“ओह, गायक, तेरा बहुत-बहुत धन्यवाद!” हाना
चिल्लाई. “पहले से ही तुझे धन्यवाद देती हू! मिकादो तो बेटे की पत्नी के रूप में
सिर्फ मुझे ही चुनने वाले हैं.”
गायक की नीली आँखों में
व्यंग्य का भाव तैर गया. वह दिल खोलकर हँसा और चीख़ा:
“इसमें कोई शक नहीं है कि तू बेहद ख़ूबसूरत
मुसुमे है, मगर मिकादो के राजमहल में सिर्फ वही लड़कियाँ प्रवेश कर सकेंगी, जिनके
पास बेहद शानदार ‘ओबी’ होंगे, मतलब, सबसे प्रसिद्ध मुसुमे.”
“और, उनके बीच मैं भी रहूँगी, तू देख लेना!”
हाना चिल्लाई.
मगर गायक ने केवल अविश्वास
से सिर हिला दिया. उसे पहली नज़र में ही मुसुमे हाना पसन्द आ गई थी, मगर उसे ज़रा भी
शक नहीं हुआ कि उसके सामने अत्यंत प्रसिद्ध घराने की लड़की खड़ी है, जिसके पास
अद्भुत शक्ति भी है.
वह लगातार सिर हिलाता रहा
और अपने लाल होठों से हल्के-हल्के मुस्कुराता रहा.
मगर हाना ने कहा:
“मैं अभी पीली गुलदाऊदी का फूल तोड़कर तुझे
दूँगी. जैसे ही मैं मिकादो के राजमहल में प्रवेश करूंगी, पीला गुलदाऊदी खून जैसे
लाल रंग में बदल जाएगा. इस गुलदाऊदी की मदद से तुम मुझे पहचान सकोगे. और, अब बताओ,
गायक, तुम्हारा नाम क्या है?”
“मेरा नाम येरो है!” प्यार भरी नज़र से उसकी ओर
देखते हुए उसने कहा.
“अलबिदा, येरो!” हाना ने कहा. “मिकादो के राजमहल
में मुलाक़ात होगी.”
“अलबिदा, सुन्दरी मुसुमे!”
वह चली गई, मगर येरो उसी
ओर देखता रहा, जहाँ वह छुप गई थी. उसे वह सूरज की किरण जैसी प्रतीत हुई, इसके बाद
गाने में उसका दिल नहीं लगा.
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दूज की शाम को मिकादो के
राजमहल में सुप्रसिद्ध सुन्दरियों को एक बड़ा हुजूम इकट्ठा हो गया.
महल के पास खड़ी हाना देख
रही थी कि कैसे फुर्तीले जेनेरिक्शी (जापानी कहार-गाड़ीवान, जो अमीर लोगों को ख़ास
तरह की डोलियों में इधर-उधर ले जाते हैं, जो जापान में कुर्सी वाली गाड़ियों के
बदले इस्तेमाल की जाती हैं.) सजी-धजी, मखमल की, पहियों वाली डोलियाँ ला रहे थे,
जिनमें से पंछियों जैसी प्रसन्न, सजी-धजी सुन्दरियाँ बाहर निकल रही थीं.
सन्तरी उन्हें राजमहल के
भीतर ले जाए. वहाँ जानेमाने दरबारी उनसे मिलते और उन्हें सिंहासन वाले कक्ष में ले
जाते. इस कक्ष में ख़ुद मिकादो और उनका पुत्र सुन्दरियों का स्वागत कर रहे थे.
हाना भी राजमहल के अन्दर
जाना चाहती थी, मगर कठोर संतरियों ने लड़की को अन्दर नहीं जाने दिया.
मुसुमे हाना ने साधारण, पुराना ‘ओबी’ बांधा था,
और साधारण ‘ओबी’ सिर्फ साधारण लड़कियाँ ही पहनती हैं.
तब हाना ने सावधानीपूर्वक
अपने साधारण ‘ओबी’ को अपनी ऊँगली पर लपेटा, और तब आश्चर्यचकित संतरियों के सामने
दर्जनों सुनहरे बालों वाले सेवकों, दसियों बिगुल बजाने वालों, तलवारधारियों और
नौकरों की पूरी फ़ौज प्रकट हो गई.
वे सब हाना को घेरकर खड़े
हो गए, जिसके बदन पर पलभर में बेहद शानदार, हीरे-मोती जड़ी अद्भुत पोषाक आ गई.
कीमती मुकुट उसके मस्तक को सुशोभित कर रहा था. सिर्फ, साधारण, काला ‘ओबी’ ही पहले
ही की तरह उसकी कमर पर विराजमान रहा, जो इस सारी सज-धज को बिगाड़े दे रहा था.
मगर जब शानदार सेवकों से
घिरी एक प्रसिद्ध, अमीर सुन्दरी महल के अन्दर जाने की मांग कर रही थी, तो साधारण
‘ओबी’ की तरफ़ किसी का भी ध्यान नहीं गया.
संतरियों ने सिर झुकाकर
हाना को भीतर जाने दिया, और एक मिनट बाद वह मिकादो और उनके पुत्र के सम्मुख खड़ी
थी.
गायक येरो पहले से ही वहाँ
मौजूद था, मगर हाना ने बेचारे ग़रीब गायक की ओर नज़र तक नहीं डाली. उसके प्रकट होने
पर जो उत्तेजना भरी खुसफुसाहट हो रही थी, उसने उसे बिल्कुल बहरा कर दिया था. और,
येरो भी इस शानदार राजकुमारी के रूप में उस भली मुसुमे को कैसे पहचानता, जिससे वह
हाल ही में मिला था. अगर उसके सीने पर लगा पीला गुलदाऊदी का फूल अचानक लाल रंग में
न बदल गया होता, तो वह कभी भी हाना को न पहचानता.
“ये अद्भुत सुन्दरी कहाँ से आई है?” मिकादो के
पुत्र ने पूछा. “ये, शायद, कोई बहुत मशहूर राजकुमारी है. मैं पत्नी के रूप में
इसीको चुनना चाहता हूँ.”
मिकादो ने बेटे की ओर
देखकर सहमति में सिर हिलाया.
ख़ुशी और जोश भरी
किलकारियों के बीच राजकुमार हाना का हाथ पकड़कर अपने साथ ले गया और उसे अपनी बगल
में बिठा दिया. मिकादो ने गायक को इशारा किया कि वह राजकुमार द्वारा चुनी गई युवती
के सम्मान में अपना प्रशंसा-गीत गाए, और बेचारे येरो ने ग़म से आहें भरते हुए अपना
प्रशंसा-गीत शुरू किया, क्योंकि वह हाना से प्यार कर बैठा था और उसे अपनी पत्नी
बनाना चाहता था. वह हाना की ख़ूबसूरती की, उसकी अलौकिक सज-धज की और शानदार नौकर-चाकरों
की प्रशंसा कर रहा था; उसकी आँखों की सितारों से , उसकी नर्म त्वचा की - कमल की
पंखुड़ी से, होठों की – लाल गुलदाऊदी से, उसके छोटे-छोटे पैरों की – गुलाबी सींपों
से, और चमकते, काजल जैसे बालों की – पूरब की अंधेरी रातों से.
बस, येरो ने सिर्फ साधारण
काले ‘ओबी’ की तारीफ़ नहीं की. येरो अपनी भावी महारानी को उसके ऊँचे ओहदे के अनुरूप
भड़कीले, शानदार ‘ओबी’ में देखना चाहता था. और उसने इस काल्पनिक, परीकथाओं में
वर्णित शानदार ‘ओबी’ की प्रशंसा में कोई कसर न छोड़ी, जिसे सुन्दरी की लचीली काया
पर बंधे होना था.
गीत के बोल लहरों की तरह
तैर रहे थे, और तारों की तरह झंकार कर रहे थे, और हवा की तरह सांस ले रहे थे, और
मुसुमे के दिल की गहराई में जाकर पिघल रहे थे. इन बोलों के असर से मुसुमे का दिल
ऐसे ‘ओबी’ को शिद्दत से पाने की चाह कर बैठा. उसने अनजाने में ही अपने कमरबन्द को
छुआ. और अचानक.....ओह, भयानक!
शानदार नौकर-चाकर ग़ायब हो
गए, बिगुलधारी गायब हो गए, बैण्ड-बाजा गायब हो गया, सुनहरे बालों वाले सेवक गायब
हो गए और उसकी शानदार पोषाक और गहने भी ग़ायब हो गए. शानदार राजकुमारी के स्थान पर
अब मिकादो और राजकुमार के सामने खड़ी थी साधारण कपड़े पहनी हुई मुसुमे हाना. मगर, अब
पुराने, काले ‘ओबी’ के स्थान पर उसकी काया से लिपटा था सबसे शोख़ रंगों का शानदार
‘ओबी’.
इस अजीब परिवर्तन से
मिकादो और राजकुमार बेहद परेशान हो गए.
“तेरे नौकर-चाकर कहाँ हैं, राजकुमारी? तेरी
शानदार पोषाक कहाँ है? तेरा मुकुट कहाँ है?” वे एक साथ चीख़े.
मुसुमे हाना ने जल्दी से
‘ओबी’ का सिरा पकड़ा जिससे एक ही हरकत से पुरानी शानो-शौकत को वापस ले आए, मगर, हाय!
इस शानदार ‘ओबी’ के पास जादुई ताक़त नहीं थी, जो पहले वाले साधारण कमरबन्द में थी.
अब हाना को अपने पिता के
शब्द याद आये, जो उन्होंने जादुई ‘ओबी’ देते हुए उससे कहे थे. उन शब्दों को याद
करते ही हाना फूटफूटकर रोने लगी.
“धोखेबाज़! झूठी! तूने हमें धोखा देने की कोशिश
की! नीच साधारण लड़की, राजकुमारी का ढोंग रचाया!” गुस्से से आगबबूला होते हुए
राजकुमार चिल्लाया. “दूर हट, घिनौनी झूठी!”
हाना और ज़ोर से रोने लगी.
वह समझ गई कि राजकुमार को उससे नहीं, बल्कि उस अमीरी और दिखावे से प्यार था, जो
उसे घेरे हुए था. दुष्ट मेहमानों के ज़हरीले ठहाकों के बीच, हाथों में अपना चेहरा
छुपाए, तेज़-तेज़ क़दमों से वह दरवाज़े की ओर बढ़ी. अचानक उसे महसूस हुआ कि किसी ने
उसका हाथ कसकर पकड़ लिया है.
सिर उठाया – उसके सामने
येरो था.
“ठहरो! यहाँ से हम साथ-साथ जाएँगे, मेरी अच्छी
मुसुमे!” उसकी काली आँखों में प्यार से देखते हुए उसने कहा. “साथ में जाएँगे. मैं
तुम्हें अपने ज़ारा में ले जाऊँगा, और तुम मेरी पत्नी बनोगी, क्योंकि तुम्हारी
आँखों में मैं एक नेक रूह देख रहा हूँ, और तुम्हारी मुस्कुराहट में – एक नाज़ुक
दिल! मुझे क़ीमती गहने नहीं चाहिए. जैसी तुम हो, वैसी ही मुझे पसन्द हो. ऐ सुन्दरी,
क्या मेरी पत्नी बनना चाहोगी?
हाना ने ख़ामोशी से,
कृतज्ञता भरी नज़रों से येरो की ओर देखा और उसके हाथ में अपना हाथ दे दिया. वह
सोचना भी नहीं चाहती थी कि एक प्रसिद्ध समुराई की बेटी किसी भटकते हुए गायक की
पत्नी कैसे बन सकती है. येरो की नेक आत्मा ने उसे जीत लिया था...
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ये कहानी मैंने बूढ़े, भूरे
उकाब से सुनी थी, जो फुजियामा के निकट चट्टान पर बैठा था. उसने कहानी ख़त्म की और
हौले से बोला:
“कैसे अजीब होते हैं लोग! कितने बेवकूफ़ होते हैं
लोग! उनसे ज़्यादा अक्लमन्द तो भूरा बूढ़ा उक़ाब है. मगर बूढ़ा भूरा उक़ाब उनके सुख की
कामना करता है.
बूढ़ा भूरा उक़ाब उनके लिए
शाश्वत सुख की कामना करता है!
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