उलटे दिमाग़ वाली लड़की
लेखिका: मरीना द्रुझीनिना
अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
हमारी
बिल्डिंग में एक लड़की रहती है. न सिर्फ दाशा, बल्कि उल्टे दिमाग़ वाली दाशा!
मिसाल
के तौर पर, अगर
उससे कहो, “दाशा, डान्स कर ना, प्लीज़!” और वह फ़ौरन गाने
लगेगी! “ल्या-ल्या-ल्या!”
और
अगर उससे कहो, “दाशा, प्लीज़ गाना गाओ!” वह, सोचिये, फ़ौरन डान्स करना शुरू कर देती है! उछलती है, बैलेरीना की तरह पैर हिलाती है, और गोल-गोल घूमती है!
ऐसी
आश्चर्यजनक है वह लड़की.
एक
दिन मम्मा ने उससे कहा:
“दाशेन्का! अपने खिलौने समेट ले. और
धूल झटक दे.”
और
दाशा ने फ़ौरन बड़े जोश से अपने खिलौने कमरे में फेंकना शुरू कर दिया! और धूल फ़ैलाने
लगी!”
तब
मम्मा ने कहा:
“दाशेन्का!
तुझसे विनती करती हूँ! किसी भी हालत में अपने खिलौने नहीं समेटना! और तेरी
मिन्नत करती हूँ, कि धूल मत झाड़ना. किसी भी हालत में नहीं! कभी नहीं!”
और
दाशा को सफ़ाई करनी पड़ी. अपने खिलौने सही जगह पर रखने पड़े और धूल भी झाड़नी पड़ी.
हालाँकि उसका मन नहीं – बिल्कुल नहीं चाह रहा था यह सब करने के लिये.
मगर
क्या कर सकते हो! सब कुछ ईमानदारी से होना चाहिये.
क्योंकि
वह उल्टे दिमाग़ वाली लड़की जो है.
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