रविवार, 16 जून 2019

Achchha Kaam



अच्छा काम
लेखक : वलेन्तीना असेयेवा
अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
यूरिक सुबह उठा. उसने खिड़की से देखा. सूरज चमक रहा है. दिन अच्छा है.
बच्चे का दिल चाहा कि वह ख़ुद भी कोई अच्छा काम करे.
बैठ गया और सोचने लगा :
“अगर मेरी बहन डूब रही होती, तो मैं उसे बचा लेता!”
और बहन तो वहाँ हाज़िर हो गई:
“मेरे साथ घूमो, यूरा!”
“भाग जा, सोचने दे! बहन बुरा मान गई, वहाँ से चली गई.
और यूरा सोचता है : “अगर आया माँ पर भेड़िए टूट पड़ते, तो मैं उन्हें गोली मार देता!”
और आया माँ हाज़िर हो गई:
“प्लेटें उठा दे, यूरच्का.”
“ख़ुद ही उठा दो - मेरे पास टाइम नहीं है!”
आया माँ ने सिर हिलाया. और यूरा फिर से सोचने लगा:
“अगर ट्रेज़र कुँए में गिर जाता, तो मैं उसे बाहर खींच लेता!”
और ट्रेज़र वहाँ हाज़िर! पूँछ हिलाकर कहता है :
“मुझे पानी पिलाओ, यूरा!”
“भाग जा! सोचने दे!”
ट्रेज़र ने अपना मुँह बन्द किया और झाड़ियों में रेंग गया. और यूरा मम्मा के पास गया :
“मैं कौन सा अच्छा काम कर सकता हूँ, मम्मा?”
मम्मा ने यूरा के सिर पर हाथ फेरा और बोली:
बहन के साथ घूम, प्लेटें समेटने में आया माँ की मदद कर, ट्रेज़र को पानी पिला.”    

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