इवान कोज़्लोव्स्की
की शोहरत
लेखक: विक्टर
द्रागून्स्की
अनुवाद: आ. चारुमति
रामदास
मेरी मार्कशीट में सारे ‘ए’ ग्रेड्स ही
हैं. बस, सिर्फ शुद्धलेखन में ‘बी’ है. धब्बों की वजह से. समझ में नहीं आता कि
क्या करूँ! मेरे पेन से हमेशा धब्बे गिरते ही रहते हैं. मैं स्याही में पेन की निब
का बस सिरा ही डुबाता हूँ, मगर फिर भी धब्बे गिर ही जाते हैं. जैसे कोई अजूबा हों!
एक बार तो मैंने पूरा पेज बिल्कुल साफ़-साफ़ लिखा, बड़ा प्यारा और अच्छा लग रहा था
उसे देखना – अस्सल ‘ए’ ग्रेड वाला पेज था. सुबह उसे रईसा इवानोव्ना को दिखाया,
वहाँ तो बिल्कुल बीचोंबीच धब्बा पड़ा था! वो कहाँ से आया? कल तो नहीं था! हो सकता
है वह किसी और पेज से छनकर आ गया हो? मालूम नहीं...
तो, वैसे मेरी हमेशा ‘ए’ ग्रेड ही आती है. बस,
म्युज़िक में आया ‘सी’. वो ऐसे हुआ. हमारी म्युज़िक की क्लास थी. पहले तो हम सबने
मिलकर कोरस गाया “नन्ही बेर्योज़्का खड़ी खेत में”. बहुत बढ़िया गाया, मगर बोरिस सेर्गेयेविच
पूरे टाइम त्योरियाँ चढ़ाए चिल्लाए जा रहे थे:
“मात्राएँ खींचो, दोस्तों, मात्राएँ खींचे!...”
तब हम मात्राएँ खींच-खींच कर गाने लगे,
मगर बोरिस सेर्गेयेविच ने ताली बजाई और कहा:
“बिल्कुल बिल्लियों की कॉन्सर्ट है! चलो,
हर-एक-से अलग-अलग प्रैक्टिस करवाते हैं.”
इसका मतलब हुआ हर कोई अलग-अलग गाएगा.
और बोरिस सेर्गेयेविच ने मीश्का को बुलाया.
मीश्का पियानो के पास गया और उसने
फुसफुसाकर बोरिस सेर्गेयेविच से कुछ कहा.
तब बोरिस सेर्गेयेविच पियानो बजाने लगे,
और मीश्का ने धीमी आवाज़ में गाना शुरू किया :
झिलमिल करती कड़ी
बर्फ पर
गिरा बर्फ का नन्हा
टुकड़ा...
बड़े मज़ाकिया तरीके से चीं-चीं कर रहा था
मीश्का! बिल्कुल, जैसे हमारी बिल्ली का बच्चा मूर्ज़िक चिचियाता है. क्या कोई ऐसे
गाता है! कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा है. मैं अपने आप को बिल्कुल रोक न सका और हँस
पड़ा.
तब बोरिस सेर्गेयेविच ने मीश्का को ‘ए’
दिया और मेरी ओर देखा.
उन्होंने कहा:
“तो-, ठहाका मास्टर, आओ!”
मैं लपक कर पियानो की ओर भागा.
“ओके, तुम क्या गाओगे?” – बोरिस सेर्गेयेविच ने
बड़ी शराफ़त से पूछा.
मैंने कहा:
“गृह-युद्ध का गीत “ले चलो, बूदेन्नी, निडर हैं
हम युद्ध में.”
बोरिस सेर्गेयेविच ने सिर को झटका दिया और
बजाना शुरू किया, मगर मैंने उन्हें फ़ौरन रोक दिया :
”प्लीज़, ज़ोर-ज़ोर से बजाइए!” मैंने कहा.
बोरिस सेर्गेयेविच ने कहा:
“तुम्हारी आवाज़ सुनाई नहीं देगी.”
मगर मैंने कहा:
”देगी. ऐसी भी क्या बात है!”
बोरिस
सेर्गेयेविच ने बजाना शुरू किया , और मैंने खूब गहरी साँस लेकर गाना शुरू किया:
साफ़ ऊँचे आसमान में
लहराता है झंडा
लाल...
ये गाना मुझे बहुत अच्छा लगता है.
आँखों के सामने तैर जाता है नीला-नीला
आसमान, गर्मी, घोड़ों की टापों की खटखट, उनकी ख़ूबसूरत बैंगनी आँखें, और आसमान में
लहराता है लाल झंडा.
अब तो जोश से मैंने आँखें भी सिकोड़ लीं और
पूरी ताक़त से चीख़ने लगा:
घोड़ों पर सरपट हम
जाते
जहाँ दिखाई देता
दुश्मन!
और सम्मोहित करते
युद्ध में...
मैं बहुत अच्छा गा रहा था, दूसरी सड़क पर भी सुनाई दे रहा था.
तेज़ फिसलती हिम
चट्टानों से! आगे जाते हम सरपट!...हुर्रे!...
लाल फ़ौज विजयी है
हमेशा! हटो पीछे, ऐ दुश्मन! डालो हथियार!!!
मैंने हथेलियों से अपना पेट दबाया, गाना
और भी ज़ोर से निकला, मैं बस गिरते-गिरते बचा:
हम घुस गए क्रीमिया
में!
यहाँ मैं रुक गया, क्योंकि मैं पसीने से
तरबतर हो गया था और मेरे घुटने भी काँप रहे थे.
और बोरिस सेर्गेयेविच हालाँकि बजा रहे थे,
मगर पियानो पर दुहरे हुए जा रहे थे, और उनके भी कन्धे थरथरा रहे थे...
मैंने कहा:
“तो, कैसा लगा?”
“ग़ज़ब
का!’ – बोरिस सेर्गेयेविच ने तारीफ़ की.
“अच्छा गाना है, है ना?” मैंने पूछा.
“अच्छा है,” बोरिस सेर्गेयेविच ने कहा और रुमाल से आँखें ढाँक लीं.
“मगर, अफ़सोस की बात है कि आपने बहुत धीरे से
बजाया, बोरिस सेर्गेयेविच,” मैंने कहा, “और भी ज़ोर से बजाना चाहिए था.”
“ठीक है, मैं ध्यान रखूँगा,” बोरिस सेर्गेयेविच
ने कहा. “और क्या तुमने इस पर ध्यान नहीं दिया कि मैं एक धुन बजा रहा था और तुम
थोड़ी अलग ही धुन में गा रहे थे!”
“नहीं,” मैंने कहा, “इस बात पर मैंने ध्यान ही
नहीं दिया! हाँ, मगर वो इतनी ख़ास बात नहीं है.
बस आपको और ज़ोर से बजाना चाहिए था.
“ओके,” बोरिस सेर्गेयेविच ने कहा, “चूँकि तुमने
किसी बात पर ध्यान नहीं दिया इसलिए फिलहाल तुम्हें ‘सी’ ग्रेड देते हैं. तुम्हारी
कोशिश के लिए.”
क्या –‘सी’? मुझे बड़ा शॉक लगा. ऐसा कैसे
हो सकता है? ‘सी’ – ये तो बहुत कम है! मीश्का ने इतना धीरे गाया और उसे ‘ए’
मिला...मैंने कहा:
“
बोरिस सेर्गेयेविच, जब मैं थोड़ा-सा आराम कर लूँगा, तो मैं और भी ज़ोर से गा सकूँगा,
आप कुछ न सोचिए. वो तो आज मैंने ठीक से नाश्ता नहीं किया. वर्ना तो मैं ऐसे गा
सकता हूँ, कि सबके कान बहरे हो जाएँगे. मुझे एक और गाना आता है. जब मैं घर में उसे
गाता हूँ तो सारे पड़ोसी भागकर आ जाते हैं और पूछने लगते हैं कि क्या हुआ है.
“आख़िर कौन सा है वो गाना?” बोरिस सेर्गेयेविच ने
पूछा.
“बड़ा दर्द भरा है,” मैंने कहा और गाने लगा:
मैंने चाहा तुम्हें...
चाहत की आग अब भी
शायद...
मगर बोरिस सेर्गेयेविच ने फ़ौरन कहा:
“ठीक है, ठीक है, इस सब के बारे में अगली बार
बात करेंगे.”
और तब घण्टी बज गई.
मम्मी मुझे क्लोकरूम में मिली. जब हम
निकलने ही वाले थे, तो बोरिस सेर्गेयेविच हमारे पास आए.
“ तो,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “”हो सकता है कि
आपका बच्चा लोबाचेव्स्की बन जाए, हो सकता है मेंडेलेव बन जाए. वह सूरिकोव या
कोल्त्सोव भी बन सकता है. मुझे अचरज नहीं होगा अगर वह पूरे देश में कॉम्रेड
निकोलाय ममाय या किसी बॉक्सर जैसा प्रसिद्ध हो जाए, मगर एक बात के बारे में आपको
पक्का यक़ीन दिला सकता हूँ, कि वह इवान कोज़्लोव्स्की जैसी शोहरत नहीं पा सकेगा. कभी
नहीं!”
मम्मी एकदम खूब लाल हो गई और बोली:
“अच्छा, देखा जाएगा!’
और जब हम घर जा रहे थे तो मैं सोचता जा
रहा था:
“क्या सचमुच ये कोज़्लोव्स्की मुझसे भी ज़्यादा
ज़ोर से गाता है?”
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