सोमवार, 28 जुलाई 2014

Boojho to jaane

बूझो तो जानें
लेखक: डैनियल चार्म्स
अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
मैंने एक पेन्सिल ख़रीदी, घर आया और ड्राईंग बनाने बैठ गया.
जैसे ही मैंने घर का चित्र बनाना शुरू किया कि साशा आण्टी ने मुझे आवाज़ दी. मैंने पेन्सिल रख दी और साशा आण्टी के पास गया.
 “तुमने मुझे बुलाया?” मैंने आण्टी से पूछा.
 “हाँ,” आण्टी ने कहा. “ज़रा देख तो, ये दीवार पे क्या है, कॉक्रोच है या मकड़ी?”
 “मेरे ख़याल से ये कॉक्रोच है,” मैंने कहा और जाने लगा.
 “तू कर क्या रहा है!” साशा आण्टी चिल्लाई, “उसे मार डाल!”
 “ठीक है,” मैंने कहा और मैं कुर्सी पर चढ़ गया.
 “तू ये पुराना अख़बार ले,” आण्टी ने मुझसे कहा, “उसे अख़बार में पकड़ ले और बाथरूम में जाकर फ्लश कर दे.”
मैंने अख़बार लिया और कॉक्रोच की तरफ़ बढ़ा. मगर अचानक कॉक्रोच फ़ड़फ़ड़ाया और उड़ कर छत पर बैठ गया.
 “ई-ई-ई-ई-ई-ई!” साशा आण्टी चीत्कार करती हुई कमरे से बाहर भागी.
मैं ख़ुद भी डर गया. मैं कुर्सी पे खड़े-खड़े छत पे काले धब्बे को देखता रहा. काला धब्बा धीरे-धीरे खिड़की की ओर रेंग रहा था.
 “बोर्‍या, तूने पकड़ लिया? क्या है वो?” दरवाज़े के पीछे से परेशान आवाज़ में आण्टी ने पूछा.
अब मैंने ना जाने क्यों सिर घुमाया और फ़ौरन कुर्सी से कूद कर कमरे के बीच में भागा. दीवार पर, उस जगह के पास, जहाँ मैं अभी-अभी खड़ा था, एक समझ में न आने वाला बड़ा-सा कीड़ा बैठा था, उसकी लम्बाई दियासलाई से डेढ़ गुनी थी. वो अपनी दोनों काली-काली आँखों से मेरी ओर देख रहा था और अपना छोटा-सा मुँह हिला रहा था, जो फूल जैसा था.
 “बोर्‍या, तुझे हुआ क्या है!?” आण्टी कॉरीडोर से चिल्लाई.
 “यहाँ एक और है!” मैंने चिल्लाकर कहा. कीड़ा मेरी ओर देख रहा था और इस तरह से साँस ले रहा था जैसे कोई चिड़िया लेती है.
 “फू, कितना घिनौना है,” मैंने सोचा. मेरा जी मितलाने लगा.
और अगर ये ज़हरीला हुआ तो? मैं अपने आपको रोक न सका और चीख़ता हुआ दरवाज़े की ओर भागा.
जैसे ही मैंने अपने पीछे दरवाज़ा बन्द किया, अन्दर से कोई चीज़ ज़ोर से उससे टकराई.
  ये वही है,” मैंने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा. आण्टी पहले ही फ्लैट से भाग चुकी थीं.
 “मैं अपने फ्लैट में अब और नहीं जाऊँगी! नहीं जाऊँगी! जो चाहे कर लें, मगर मैं फ्लैट में नहीं जाऊँगी!” आण्टी चिल्ला-चिल्लाकर हमारी बिल्डिंग में रहने वालों से कह रही थीं, जो वहाँ जमा हो गए थे.
 “आप बताईये तो सही, अलेक्सान्द्रा मिख़ाईलोव्ना, कि वो क्या था?” 53 नंबर के फ्लैट वाले सेर्गेई इवानोविच ने पूछा.
 “मालूम नहीं, मालूम नहीं, मालूम नहीं!” आण्टी चिल्लाई. बस, दरवाज़े पे उसने इतनी ज़ोर से मारा कि फर्श और छत थरथरा गए.”
 “ये बिच्छू है. हमारे यहाँ ‘साऊथ’ में तो वो ख़ूब होते हैं,” दूसरी मंज़िल पर रहने वाले एड़वोकेट की पत्नी ने कहा.
“हाँ, मगर मैं तो फ्लैट में नहीं जाऊँगी!” साशा आण्टी ने अपनी बात दुहराई.
 “नागरिक!” बैंगनी पतलून वाला आदमी ऊपर वाली लैण्डिंग से झुकते हुए चिल्लाया. “दूसरों के घर के बिच्छू पकड़ना हमारा काम नहीं है. आप हाऊसिंग-कमिटी के पास जाईये.
 “सही है, हाऊसिंग-कमिटी के पास!” एड़वोकेट की पत्नी ने ख़ुश होते हुए कहा.
साशा आण्टी हाऊसिंग कमिटी के पास गई.
53 नंबर वाले सेर्गेई इवानोविच ने अपने फ्लैट में जाते-जाते कहा:
 “मगर, फिर भी, ये बिच्छू नहीं हो सकता. पहली बात: यहाँ बिच्छू आएगा कहाँ से, और दूसरी बात, बिच्छू उछलते नहीं हैं.”
क्या आप बता सकते हैं कि ‘वो’ क्या था?
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