जानवरों और पंछियों ने सूरज को कैसे ढूँढ़ा
एक एस्किमो कहानी
अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
तो ऐसा हुआ था.
एक बार दुष्ट आत्माओं ने, जिन्हें तुंगाक
कहते हैं (ये दुष्ट आत्माएँ अजीब-अजीब रूप धारण करती हैं, और लोगों के लिए
हर तरह की मुसीबतें लाती हैं) टुन्ड्रा के निवासियों से सूरज को छीन लिया. अब
जानवर और पंछी हमेशा अँधेरे में ही रहने को मजबूर थे, मुश्किल से अपने लिए खाने की तलाश करते. आख़िरकार
उन्होंने एक बड़ी सभा बुलाने का फैसला किया. हर तरह के जानवरों और पंछियों के
प्रतिनिधि सभा में आए. बूढ़ा कौआ, जिसे सब बहुत अकलमन्द समझते थे, बोला :
“पंखों वाले और बालों वाले भाइयों! हम कब तक अँधेरे में रहेंगे? मैंने अपने
बुज़ुर्गों से सुना है कि हमारी धरती से कुछ ही दूर, ज़मीन के नीचे एक गहरी खाई में तुंगाक रहते हैं, जिन्होंने हमारी
रोशनी छीन ली है. उन तुंगाकों के पास सफ़ेद पत्थर के एक बर्तन में एक बड़ा चमकता हुआ
गोला है. इस गोले को ही वे लोग सूरज कहते हैं. अगर तुंगाकों से उस गोले को छीन लिया
जाए, तो धरती प्रकाश से जगमगा उठेगी. तो, मैं बूढ़ा कौआ, तुम्हें सलाह देता हूँ : इस सूरज को लाने के लिए हममें
से सबसे बड़े और सबसे ताकतवर को – भूरे भालू को भेजा जाए...”
“भालू, भालू!” जानवर और पंछी चिल्लाए. वहीं पास में बूढ़ा, बहरा उल्लू स्लेज
दुरुस्त कर रहा था, उसने पास बैठी नन्ही बर्फीली चिड़िया से पूछा:
“ये जानवर और पंछी किस बारे में बहस कर रहे हैं?”
बर्फीली चिड़िया ने जवाब दिया :
“भालू को भेजना चाहते हैं सूरज को लाने के लिए, वो सबसे ताकतवर जो है.”
“उनकी कोशिशें बेकार हैं,” उल्लू बोला. “रास्ते में भालू को खूब खाने-पीने की
चीज़ें मिलेंगी और वह सब भूल जाएगा. हमारे पास सूरज आएगा ही नहीं.”
उल्लू की बात सुनकर जानवर और पंछी उससे सहमत हो गए.
बूढ़े कौए ने नया सुझाव दिया:
“भेड़िए को भेजेंगे, आख़िर भालू के बाद वो ही हम सबसे ज़्यादा ताकतवर और तेज़
है.”
“भेड़िया, भेड़िया!” जानवर और पंछी चिल्लाए.
“वे किस बात पर बहस कर रहे हैं?” उल्लू ने फिर पूछा.
“सूरज को लाने के लिए भेड़िए को भेजने का फ़ैसला किया है,” नन्ही चेड़िया ने
कहा.
“बेकार ही मेहनत कर रहे हैं,” उल्लू बोला. “भेड़िया हिरन को देखेगा, उसे मार डालेगा
और सूरज के बारे में भूल जाएगा.”
उल्लू की बात सुनकर जानवर और पंछी उससे सहमत हो गए.
अब नन्हे चूहे ने कहा:
“इस ख़रगोश को भेजा जाए, वह सबसे बढ़िया छलांग लगाता है और चलते चलते ही सूरज को
लपक सकता है.”
जानवर और पंछी चिल्लाए:
“ख़रगोश, ख़रगोश, ख़रगोश!”
बहरे उल्लू ने तीसरी बार नन्ही चिड़िया से पूछा:
“वे किस बात पर बहस कर रहे हैं?”
नन्ही चिड़िया बिल्कुल उसके कान में चिल्लाई :
“सूरज के लिए ख़रगोश को भेजने का फ़ैसला किया है, क्योंकि वह सबसे बढ़िया छलांग लगाता है और चलते-चलते ही
सूरज को लपक सकता है.”
“ये शायद, सूरज को ढूँढ़ लाएगा. वह सचमुच में बढ़िया छलांग लगाता
है और लालची भी नहीं है. कोई भी चीज़ उसे रास्ते में नहीं रोक सकती,” उल्लू ने कहा.
इस तरह ख़रगोश को सूरज को छीनकर लाने के लिए चुना गया, और वह, बिना ज़्यादा सोचे, अपनी राह पर रवाना
भी हो गया.
चलता रहा, चलता रहा और आख़िर में उसे दूर, अपने सामने एक
चमकदार धब्बा दिखाई दिया. ख़रगोश धब्बे के करीब आने लगा और देखता क्या है, कि ज़मीन के नीचे
से एक संकरी दरार से चमकदार किरणें फूट रही हैं. ख़रगोश ने दरार में झाँक कर देखा :
सफ़ेद पत्थर के एक बड़े बर्तन में आग का गोला रखा है और उसकी चमकदार किरणें ज़मीन के
नीचे, तहख़ाने को प्रकाशित कर रही हैं, और तहख़ाने के दूसरे कोने में हिरनों की नरम खालों पर
तुंगाक लेटे हैं. ख़रगोश तहख़ाने में उतरा, उसने पत्थर के बर्तन से आग के गोले को उठाया और उसे
साथ लिए दरार से बाहर कूद गया.
तुंगाक सचेत हो गए, ख़रगोश के पीछे भागे. ख़रगोश अपनी पूरी ताकत से भाग रहा
था, मगर तुंगाक उसके बिल्कुल नज़दीक आ गए. तब ख़रगोश ने अपने पंजे से गोले पर
प्रहार किया, उसके दो टुकड़े हो गए. एक हिस्सा, छोटा था, दूसरा – बड़ा.
ख़रगोश ने पूरी ताकत से छोटे हिस्से पर प्रहार किया – वह आसमान में उड़ गया और चाँद
बन गया. बड़े हिस्से को ख़रगोश ने उठाया, उस पर और भी ज़ोर से प्रहार किया – वह आसमान की ओर उठने
लगा और सूरज बन गया. धरती पर अचानक उजाला हो गया!
तुंगाक, इस रोशनी से अंधे होकर तहख़ाने में छिप गए और तब से कभी
ज़मीन पर आए ही नहीं. और जानवर और पंछी, हर बसन्त में ख़रगोश के सम्मान में सूरज का उत्सव मनाने
लगे और ख़ुशी से चिल्लाए :
“हमारा ख़रगोश – ज़िन्दाबाद, सूरज को लाने वाला – ज़िन्दाबाद!”
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