सबसे ज़्यादा बेवकूफ़
कौन है?
लेखक :
वलेन्तीना असेयेवा
अनुवाद :
आ. चारुमति रामदास
एक घर में एक
छोटा बच्चा वान्या, छोटी बच्ची तान्या, कुत्ता
बर्बोस, बत्तख उस्तीन्या और चूज़ा बोस्का रहते थे.
एक बार वे सब
बाहर आँगन में आए और बेंच पर बैठ गए – बच्चा वान्या, छोटी बच्ची तान्या, कुत्ता बर्बोस और चूज़ा बोस्का.
वान्या ने बाएँ
देखा,
दाएँ देखा, सिर को ऊपर की ओर उठाया. यूँ ही
तान्या की चोटी खींच ली. तान्या गुस्सा हो गई, वह वान्या को जवाब
में झापड़ देना चाहती थी, मगर देखा – लड़का बड़ा है, ताकतवर है. और उसने बर्बोस को लात मार दी. बर्बोस चिल्लाया, बुरा मान गया, उसने अपने दाँत दिखाए. तान्या – मालकिन
है, उसे छूना नहीं चाहिए. और उसने दाँतों से बत्तख उस्तीन्या
की पूँछ खींच ली. बत्तख घबरा गई, उसने अपने पंखों को समेट लिया;
उसका जी चाहा कि चूज़े बोस्का को चोंच मारे मगर फिर ये ख़याल छोड़ दिया.
बर्बोस ने उससे पूछा;
“बत्तख उस्तीन्या, तू
बोस्का को क्यों नहीं मारती? वो तो तुझसे कमज़ोर है.”
“मैं इतनी बेवकूफ़
नहीं हूँ,
जितना तू है,” बत्तख ने बर्बोस को जवाब दिया.
“मुझसे भी ज़्यादा
बेवकूफ़ लोग हैं,”
कुत्ता बोला और उसने तान्या की ओर इशारा किया.
“मुझसे भी ज़्यादा
बेवकूफ़ कोई है,”
वह बोली और वान्या की ओर देखने लगी.
वान्या ने इधर-उधर
देखा – उसके पीछे तो कोई नहीं है.
‘कहीं
मैं ही तो सबसे ज़्यादा बेवकूफ़ नहीं हूँ?’ वान्या सोचने लगा.
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