सोमवार, 23 सितंबर 2013

Masha aur Choohe

माशा और चूहे

लेखक: अलेक्सेइ टॉल्स्टॉय
अनु.: आ. चारुमति रामदास


 “सो जा, माशा,” आया कह रही है, “नींद में आँखें न खोल, वर्ना आँखों पे बिल्ली कूद पड़ेगी.”
 “कौन सी बिल्ली?”
 “काली, नुकीले पंजों वाली.”
माशा ने फ़ौरन आँखें भींच लीं. और आया सन्दूक पर चढ़ गई, थोडी सी कराही, थोड़ी-सी करवट लीं और नाक से उनींदे गीत गाने लगी. माशा ने सोचा कि आया नाक से लैम्प में तेल डाल रही है. थोड़ी देर  सोचा और उसकी आँख लग गई.
तब खिड़की से बाहर टिमटिमाते सितारों के घने-घने झुंड़ बिखर गए, छत के पीछे से चांद निकल कर चिमनी के पाइप पर बैठ गया.
 “नमस्ते, सितारों,” माशा ने कहा.
सितारे गोल-गोल घूमते रहे, घूमते रहे, घूमते रहे. माशा देखती है – उनकी तो पूंछें हैं और छोटे-छोटे पंजे हैं. ये सितारे नहीं हैं, बल्कि सफ़ेद चूहे हैं जो चाँद के चारों ओर भाग रहे हैं.

अचानक चाँद के नीचे पाइप से धुँआ निकलने लगा, फिर एक कान बाहर आया, इसके बाद पूरा सिर – काला, मूँछों वाला. चूहों में भगदड़ मच गई और एक साथ वे सब छुप गए. सिर पाइप से बाहर रेंगा और कमरे में काली बिल्ली हौले से कूदी.
पूँछ घसीटती हुई, बड़े-बड़े कदमों से अन्दर आई, पलंग के नज़दीक, और नज़दीक; रोओं से चिनगारियाँ फूट रही थीं.
 “आँखें नहीं खोलनी चाहिए,” माशा सोचती है.
मगर बिल्ली उछल कर उसके सीने पर आ गई, बैठी, पंजे टिका दिए, गर्दन बाहर निकाली, देखती रही.

माशा की आँखें ख़ुद-ब-ख़ुद खुलने लगीं.
 “आ--या,” वो फुसफुसाती है, “आ—या-“
 “आया को तो मैंने खा लिया,” बिल्ली कहती है, “और मैंने सन्दूक भी खा लिया.”
माशा थोड़ी-थोड़ी आँखें खोलती है, बिल्ली ने कान भी बन्द कर दिए. और वह कैसे तो छींकी.

माशा चीखी, और सारे सितारे-चूहे वापस लौट आए, न जाने कहाँ-कहाँ से; उन्होंने बिल्ली को घेर लिया.

बिल्ली माशा की आँखों पर कूदना चाहती है – चूहे उसके मुँह में, बिल्ली चूहे खा जाती है, उन्हें मसल देती है, और ख़ुद चाँद पाइप से फिसल कर तैरते हुए पलंग की ओर आता है, चाँद के ऊपर है आया का स्कार्फ़ और मोटी नाक.
 “प्यारी आया,” माशा रोती है, “ तुझे बिल्ली खा गई.” और उठकर बैठ गई.

वहाँ ना तो बिल्ली है, ना ही चूहे हैं; और चाँद दूर, बादलों के पीछे तैर रहा है. सन्दूक के ऊपर मोटी आया नाक से उनींदे गीत गा रही है.
 “बिल्ली ने आया को बाहर थूक दिया और सन्दूक को भी थूक दिया,” माशा ने सोचा और कहा:
 “धन्यवाद तुझे, ऐ चाँद, और तुम्हें भी, जगमगाते सितारों!”


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