शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

Angrez Pavlya

अंग्रेज़ पाव्ल्या

लेखक: विक्टर द्रागून्स्की
अनुवाद: आ. चारुमति रामदास


 “कल पहली सितम्बर है,” मम्मा ने कहा. “देखते-देखते शरद ऋतु आ गई, और तू दूसरी क्लास में जाएगा. ओह, टाईम कैसे उड़ता है!...”
 “इस ख़ुशी में,” पापा ने पुश्ती जोड़ी, “हम अभी ‘काटेंगे’ तरबूज़!”

उन्होंने चाकू लिया और तरबूज़ काटा. जब वो काट रहे थे, तो ऐसी भरी-भरी, प्यारी-प्यारी, हरी-हरी कर-कर सुनाई दे रही थी, कि मेरी पीठ में इस ख़याल से ठंडक दौड़ गई कि ये तरबूज़ मैं कैसे खाऊँगा. मैंने अपना मुँह खोल लिया, जिससे कि तरबूज़ की गुलाबी स्लाईस को पकड़ लूँ, मगर तभी दरवाज़ा खुला, और कमरे में आया पाव्ल्या (पावेल को प्यार से पाव्ल्या, पाव्लिक पुकारते हैं. अंग्रेज़ी में ये नाम है – पॉल – अनु. ). हम सब बेहद ख़ुश हुए, क्योंकि वो बहुत दिनों से हमारे यहाँ नहीं आया था, और हमें उसकी याद आती थी.

 “ओहो, कौन आया है!” पापा ने कहा. “ख़ुद पाव्ल्या. ख़ुद पाव्ल्या-दाढ़ीवाला!”
 “हमारे साथ बैठो, पाव्लिक, तरबूज़ खाओ,” मम्मा ने  कहा, “डेनिस्का, थोड़ा सरक जा.”
मैंने कहा:
 “हैलो!” और उसे मेरे पास जगह दे दी.
“हैलो!” उसने कहा और बैठ गया.

हमने तरबूज़ खाना शुरू किया और बड़ी देर तक चुपचाप खाते रहे. बातें करने को दिल नहीं चाह रहा था.
जब मुँह में इतनी स्वादिष्ट चीज़ भरी हो, तो कोई बात कैसे कर सकता है!
जब पाव्ल्या को तीसरी स्लाईस दी गई, तो उसने कहा:
 “आह, मुझे तरबूज़ पसंद है. बेहद पसंद है. मुझे दादी कभी भी जी भरके नहीं खाने देती.”
 “ऐसा क्यों?” मम्मा ने पूछा.
 “वो कहती है, कि तरबूज़ खाने के बाद मुझे नींद नहीं आएगी, मैं बस मस्ती करने लगूँगा.”
 “सही है,” पापा ने कहा. “इसीलिए तो हम तरबूज़ सुबह, जल्दी खाते हैं. शाम तक उसका असर ख़त्म हो जाता है, और बड़ी अच्छी नींद आती है. चल, खा ले, घबराने की ज़रूरत नहीं है.”
 “मैं नहीं घबराता,” पाव्ल्या ने कहा.

और हम फिर से खाने लगे और फिर से बड़ी देर तक चुप रहे. जब मम्मा छिलके उठाने लगी, तो पापा ने कहा:
 “पाव्ल्या, तू इतने दिन हमारे यहाँ क्यों नहीं आया?”
 “हाँ,” मैंने कहा. “तू कहाँ ग़ायब हो गया था? क्या कर रहा था?”

पाव्ल्या अकड़ दिखाने लगा, वो लाल हो गया, उसने इधर-उधर देखा और अचानक ऐसे बोला, जैसे ज़बर्दस्ती बता रहा हो:
 “क्या कर रहा था, क्या कर रहा था?... ये कर रहा था, कि अंग्रेज़ी सीख रहा था.”

मैं एकदम सन्न हो गया. मैं फ़ौरन समझ गया कि मैं पूरी गर्मियाँ बस बेवकूफ़ियाँ करता रहा. साही से खेलता रहा, बैट-बॉल खेलता रहा, बेकार की चीज़ें करता रहा. और इस पाव्ल्या ने समय नहीं बर्बाद किया, नहीं, शरारतें नहीं कीं, वह अपने आप को अच्छा बनाने में लगा रहा, अपनी शिक्षा के स्तर को बढ़ाता रहा.

वो अंग्रेज़ी सीख रहा था और अब इंग्लैण्ड के पायनीयर्स से पत्र-व्यवहार कर सकेगा और अंग्रेज़ी किताबें पढ़ सकेगा!

मुझे लगा कि मैं जलन के मारे मर जाऊँगा, और ऊपर से मम्मा ने भी कहा:
 “देख डेनिस्का, सीख. ये कोई बैट-बॉल नहीं है!”
”शाबाश!” पापा ने कहा. “मैं इज़्ज़त करता हूँ!”
पाव्ल्या का चेहरा ख़ुशी से चमकने लगा.
 “हमारे यहाँ एक स्टूडेंट, सीवा आया है. वो हर रोज़ मुझे सिखाता है. पूरे दो महीने हो गए. पूरी तरह तंग कर दिया है.”
”क्या अंग्रेज़ी कठिन है?” मैंने पूछा.
 “पागल हो जाते हो,” पाव्ल्या ने गहरी साँस ली.
 “मुश्किल कैसे नहीं होगी,” पापा भी बात में शामिल हो गए. “वहाँ तो शैतान को भी नानी याद आ जाए. बेहद मुश्किल है अंग्रेज़ी लिखना. लिखते हो लिवरपूल और कहते हो मैनचेस्टर.”
 “वाह, वा!!” मैंने कहा. “क्या ये सही है, पाव्ल्या?”
 “बिल्कुल मुसीबत है,” पाव्ल्या ने कहा. “इन लेसन्स से मैं बेज़ार हो गया हूँ, मेरा वज़न भी दो सौ ग्राम्स कम हो गया है.”
 “तो तू अपने ज्ञान का उपयोग क्यों नहीं कर रहा है, पाव्लिक?” मम्मा ने कहा. “जब तू आया, तो तूने अंग्रेज़ी में हमसे ‘नमस्ते’ क्यों नहीं कहा?”
 “अभी मैंने ‘नमस्ते’ सीखा नहीं है,” पाव्ल्या ने कहा.
 “अच्छा, जब तूने तरबूज़ खाया, तो ‘धन्यवाद’ क्यों नहीं कहा?”
 “मैंने कहा था,” पाव्ल्या ने जवाब दिया.
 “हाँ, रूसी में तो तूने कहा था, मगर अंग्रेज़ी में?”
 “हम अभी ‘धन्यवाद’ तक नहीं पहुँचे हैं,” पाव्ल्या ने कहा. “बहुत मुश्किल है...”
तब मैंने कहा:
 “पाव्ल्या, चल, तू मुझे सिखा कि अंग्रेज़ी में ‘एक, दो, तीन’ कैसे कहते हैं.”
 “ये मैंने अभी नहीं सीखा है,” पाव्ल्या ने कहा.
 “तो तूने सीखा क्या है?” मैं चिल्लाया. “दो महीनों में तूने कुछ तो सीख होगा?”
 “मैंने सीखा कि अंग्रेज़ी में ‘पेत्या’ को कैसे बुलाते हैं,” पाव्ल्या ने कहा.
 “कैसे?”
  “‘पीट’!” पाव्ल्या ने शान से जवाब दिया. “अंग्रेज़ी में ‘पेत्या’ होगा ‘पीट’. वह ख़ुशी से मुस्कुराया और आगे बोला: “कल क्लास में जाकर पेत्का गोर्बूश्किन से कहूँगा: “पीट, ऐ पीट, रबर दे!” वो अचरज से मुँह खोलेगा, कुछ भी नहीं समझेगा. बड़ा मज़ा आएगा! है ना, डेनिस?”
 “सही है,” मैंने कहा. “अच्छा, और क्या क्या जानता है तू अंग्रेज़ी में?”
 “बस, अभी इतना ही,” पाव्ल्या ने कहा.
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