शेख़ीबाज़ कोल्पाकोव
लेखक: डेनियल
चार्म्स
अनुवाद: आ. चारुमति
रामदास
कभी फ्योदोर फ्योदोरोविच कोल्पाकोव नाम का
एक आदमी रहता था.
“मैं,” फ्योदोर
फ्योदोरोविच कोल्पाकोव कहता, “किसी चीज़ से नहीं डरता! चाहे मुझ पर तोप से
गोले दागो, या मुझे पानी में फेंक दो, चाहे मुझे आग में जला दो – किसी भी चीज़ से
मैं नहीं डरता! मैं शेरों से नहीं डरता, मैं उकाबों से नहीं डरता, और व्हेलों से,
मकड़ियों से नहीं डरता! मैं किसी से नहीं डरता!
तो, एक बार फ्योदोर फ्योदोरोविच पुल पर
खड़ा था और देख रहा था कि कैसे डाइवर्स पानी में छलाँग लगा कर अन्दर जाते हैं.
देखता रहा, देखता रहा, और फिर, जब डाइवर्स पानी से बाहर आए और उन्होंने अपने
डाइविंग सूट्स उतारे, तो फ्योदोर फ्योदोरोविच से रहा नहीं गया, और वह पुल से ही
चिल्लाने लगा:
“ऐ,” चिल्लाया, “ये क्या है! मैं अभी तक ये नहीं कर पाया हूँ! मैं शेरों से
नहीं डरता, मैं उकाबों से नहीं डरता, और व्हेलों से, मकड़ियों से नहीं डरता! मैं
किसी से नहीं डरता! चाहे मुझे आग में जला दो, या मुझ पर तोप से गोले दागो, या मुझे
पानी में फेंक दो, – किसी भी चीज़ से मैं नहीं डरता!”
“ओह, ठीक है,” डाइवर्स उससे कहते हैं, “पानी में
डाइव करने की कोशिश करोगे?”
“किसलिए?” फ्योदोर फ्योदोरोविच ने कहा और दूर
जाने लगा.
“क्या, भाई, डर गए?” डाइवर्स ने उससे कहा.
“कोई डरा-वरा नहीं हूँ मैं,” फ्योदोर
फ्योदोरोविच ने कहा, “बात बस यही है कि मैं पानी के नीचे
क्योंकर जाऊँ?”
“डरते हो!” डाइवर्स ने कहा.
“नहीं, नहीं डरता!” फ्योदोर फ्योदोरोविच
कोल्पाकोव कहता है.
“तो फिर पहनो ये डाइविंग सूट और घुस जाओ पानी
में.”
फ्योदोर फ्योदोरोविच कोल्पाकोव पानी के
नीचे गया. और डाइवर्स ऊपर से टेलिफोन पर उससे चिल्लाकर पूछते हैं:
“कैसा है, फ्योदोर फ्योदोरोविच? डरावना है?”
और फ्योदोर फ्योदोरोविच नीचे से चिल्लाकर
उन्हें जवाब देता है:
“न्याव...न्याव...न्याव...”
“छोड़ो,” डाइवर्स कहते हैं, “बहुत हो गया उसका
डाइविंग.”
उन्होंने फ्योदोर फ्योदोरोविच को पानी से
बाहर खींचा, उसका डाइविंग सूट उतारा, मगर फ्योदोर फ्योदोरोविच वहशी नज़रों से चारों
ओर देखता है और बस ‘न्याव...न्याव...न्याव...” किए जाता है.
“तो, भाई, बेकार में शेखी मत मारो,” डाइवर्स ने
उससे कहा और उसे किनारे पर बिठाया.
फ्योदोर फ्योदोरोविच घर गया और तब से उसने
कभी भी शेखी नहीं मारी.
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