सोमवार, 22 जुलाई 2013

Kahaani

कहानी
लेखक: डैनियल चार्म्स
अनुवाद : आ. चारुमति रामदास

“चल,” मेज़ पर कॉपी रखते हुए वान्या ने कहा, “कहानी लिखते हैं.”
 “चल,” लेनोच्का ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा.
वान्या ने पेन्सिल ली और लिखा:
 “बहुत बहुत पहले रहता था एक राजा...”
यहाँ आकर वान्या सोच में पड़ गया और उसने छत पर आँखें गड़ा दीं.
लेनोच्का ने कॉपी में देखकर पढ़ा कि वान्या ने क्या लिखा था.
 “ऐसी कहानी तो पहले से है,” लेनोच्का ने कहा.
 “तुझे कैसे मालूम?” वान्या ने पूछा.
 “मालूम है, क्योंकि मैंने पढ़ी है,” लेनोच्का ने कहा.
 “वहाँ क्या क्या लिखा है?” वान्या ने पूछा.
 “ये ही कि कैसे राजा सेबों के साथ चाय पी रहा था और अचानक उसके गले में सेब का टुकड़ा अटक गया, और रानी लगी उसकी पीठ पर धौल जमाने, जिससे कि सेब का टुकड़ा गले से बाहर निकल जाए. मगर राजा ने सोचा कि रानी उसे मार रही है, और उसने गिलास उठाकर उसके सिर पे दे मारा. अब तो रानी को गुस्सा आ गया उसने राजा पर प्लेट फेंकी. राजा ने रानी को कटोरी से मारा. और रानी ने राजा को कुर्सी से मारा. अब राजा उछला और उसने रानी को मेज़ से मारा. और रानी ने बर्तनों की अलमारी राजा पर गिरा दी. मगर राजा अलमारी के नीचे से बाहर निकला और अपने मुकुट से रानी पर पिल पड़ा. तब रानी ने राजा के बाल पकड़ लिए और उसे खिड़की से बाहर फेंक दिया. मगर राजा दूसरी खिड़की से कमरे में आ गया, उसने रानी को पकड़ा और उसे भट्टी में झोंक दिया. मगर रानी पाईप से निकलकर छत पर आ गई, फिर विद्युत-रक्षक पर फिसलते हुए बाग़ में आई और खिड़की पर चढ़कर कमरे में वापस आ गई. इस बीच राजा भट्टी गरमाने लगा जिससे रानी को जला दे. रानी चुपके से पीछे से आई और उसने राजा को धकेल दिया. राजा भट्टी में गिरा और जल गया.

“ बस, यही है पूरी कहानी,” लेनोच्का ने कहा.
 “बड़ी बेहूदा कहानी है,” वान्या ने कहा. “मैं बिल्कुल दूसरी कहानी लिखना चाह रहा था.”
 “ओह, तो लिख,” लेनोच्का ने कहा.”
वान्या ने पेन्सिल ली और लिखा:
 “एक था डाकू...”
“रुक!” लेनोच्का चिल्लाई. “ये कहानी तो पहले से है!”
 “मुझे मालूम नहीं था,” वान्या ने कहा.
 “ऐसा कैसे हो सकता है,” लेनोच्का ने कहा, “क्या तुझे सच में मालूम नहीं है कि एक डाकू, पुलिस से बचने के लिए घोड़े पर कूदा, मगर धम् से दूसरी ओर ज़मीन पर गिर गया. डाकू ने गालियाँ दीं और फिर से घोड़े पर कूदा, मगर फिर से छलांग का अंदाज़ न लगा पाया, दूसरी ओर को गिर कर ज़मीन से टकराया. डाकू उठा, उसने मुठ्ठी से धमकाया, घोड़े पर उछला, मगर फिर से उसे पार करते हुए ज़मीन पर जा गिरा. अब डाकू ने अपनी बेल्ट से पिस्तौल निकाली और हवा में फ़ायर कर दिया, और फिर से घोड़े पर उछला, मगर इतनी ताकत से कि फिर उसे फाँद गया और ज़मीन से टकराया. तब डाकू ने सिर से अपनी टोपी उतारी, उसे पैरों से कुचला और फिर से घोड़े पर उछला, और फिर से उसे फाँदते हुए ज़मीन से टकराया और अपनी टांग तोड़ बैठा. और घोड़ा तो एक किनारे चला गया. डाकू, लंगड़ाते हुए, घोड़े के पास भागा और उसके माथे पर मुक्के बरसाने लगा. घोड़ा भाग गया. इसी समय पुलिस वाले घोड़ों पर उछलते हुए पहुँच गए और उसे जेल ले गए.”
 “ तो, मतलब, डाकू के बारे में भी नहीं लिखूंगा,” वान्या ने कहा.
 “तो फिर किसके बारे में लिखेगा?” लेनोच्का ने पूछा.
 “मैं लुहार के बारे में लिखूंगा,” वान्या ने कहा.
वान्या ने लिखा:
 “एक था लुहार...”
 “ये कहानी भी है!” लेनोच्का चिल्लाने लगी.
 “अच्छा?” वान्या ने कहा और पेन्सिल रख दी.
 “हाँ, हाँ,” लेनोच्का ने कहा. “ एक था लुहार. एक बार वह नाल बना रहा था और नाल बनाते बनाते उसने हथौड़े को इतनी ज़ोर से चलाया कि हथौड़ा हैंडल से उखड़ गया, खिड़की से बाहर उड़ा, उसने चार कबूतरों को मार गिराया, फ़ायर ब्रिगेड के टॉवर से टकराया, एक ओर को छिटका, फ़ायर ब्रिगेड ऑफ़िसर के घर की खिड़की फोड दी, मेज़ के ऊपर से उड़ा, जिस पर ऑफ़िसर और उसकी बीबी बैठे हुए थे, ऑफ़िसर के घर की दीवार फोडी और बाहर सड़क पर उड़ा, स्ट्रीट लैम्प के खंभे को ज़मीनदोस्त कर दिया, आईस्क्रीम वाले को गिरा दिया, और कार्ल इवानोविच शुस्तेर्लिंग के सिर से टकराया जिसने एक मिनट के लिए अपनी हैट उतारी थी, जिससे सिर को हवा दे सके. कार्ल इवानोविच शुस्तेर्लिंग के सिर से टकराने बाद हथौड़ा वापस उड़ा, दुबारा आईस्क्रीम वाले को गिराया, दो लड़ती हुई बिल्लियों को छत से फेंक दिया, गाय को उल्टा कर दिया, चार चिड़ियों को मार गिराया और उड़कर अपने वर्कशॉप में वापस आकर सीधे हैंडल पर बैठ गया जिसे लुहार अभी तक दाहिने हाथ में पकड़े था. ये सब इतनी जल्दी हो गया कि लुहार को कुछ भी पता नहीं चला और वह नाल बनाता ही रहा.”
 “ओह, मतलब, लुहार के बारे में कहानी लिखी जा चुकी है, तब मैं अपने ही बारे में कहानी लिखूंगा,” वान्या ने कहा और लिखा:
 “वान्या नाम का एक लड़का था...”
 “वान्या के बारे में भी कहानी है,” लेनोच्का ने कहा:
“वान्या नाम का लड़का था, एक बार वो गया...”

“रुक,” वान्या ने कहा, “मैं अपने ख़ुद के बारे में कहानी लिखना चाह रहा था.”
 “और तेरे बारे में भी कहानी पहले ही लिखी जा चुकी है,” लेनोच्का ने कहा.
 “हो ही नहीं सकता!” वान्या ने कहा.
 “और मैं कह रही हूँ कि लिखी जा चुकी है,” लेनोच्का ने कहा.
 “कहाँ लिखी गई है?” वान्या को अचरज हुआ.
 “तू ’चिड़िया’ नाम की मॅगज़ीन का अंक सात ख़रीद, और उसमें तुझे अपने बारे में लिखी कहानी मिल जाएगी,” लेनोच्का ने कहा.
वान्या ने ‘चिड़िया’ का अंक नं. 7 ख़रीदा और उसमें वही कहानी पढ़ी जो तुमने अभी अभी पढ़ी है.
      

                                   ****** 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.