होशियार तमारा
लेखक: मिखाईल
ज़ोशेन्का
अनु. : आ. चारुमति
रामदास
हमारी बिल्डिंग में एक इंजीनियर रहता है.
वो होते हैं न इंजीनियर मूँछों वाले, चश्मे वाले, बिल्कुल स्कॉलर टाईप. वैसा ही
था. एक बार ये इंजीनियर कुछ बीमार हो गया और इलाज करवाने साउथ चला गया. ख़ुद तो चला
गया साउथ, और अपने कमरे पर लगा दिया ताला. तीन दिन बीते और अचानक वहाँ रहने वालों
ने इस इंजीनियर के कमरे से किसी बिल्ली की दर्दभरी म्याँऊ-म्याँऊ सुनी. एक औरत
बोली : “ कैसा बेशरम है ये इंजीनियर. ख़ुद
तो साउथ चला गया, और अपनी बिल्ली को कमरे में छोड़ दिया. और अब ये बेचारा ग़रीब
जानवर, शायद बगैर खाने के और पानी के मर जाएगा.”
अब तो सारे बिल्डिंग वाले इंजीनियर पर
नाराज़ हो गए. उनमें से एक बोला:
“इस इंजीनियर के सिर में सुराख़ हैं. आख़िर बिल्ली
को पूरे महीने बगैर खाने के कैसे छोड़ा जा सकता है? बिल्लियाँ तो इससे मर जाती
हैं.”
दूसरा
बोला, “चलो, दरवाज़ा तोड़ देते हैं.”
बिल्डिंग का केयर टेकर आया. उसने कहा:
“इंजीनियर
की इजाज़त के बिना दरवाज़ा नहीं तोड़ा जा सकता.”
एक छोटा बच्चा निकोल्का बोला:
“तो
फिर ऐसा करते हैं कि फ़ायर ब्रिगेड को बुलाते हैं. आग बुझाने वाले आएँगे, खिड़की से
मस्त सीढ़ी लगाएँगे और बिल्ली को बचा लेंगे.”
मगर केयर टॆकर ने कहा:
“जब आग नहीं लगी है तो फायर ब्रिगेड को नहीं
बुलाना चाहिए. वर्ना हमें फ़ाईन देना पड़ेगा.”
एक छोटी लड़की तमारा ने कहा:
“मालूम है, ऐसा करते हैं कि इस बिल्ली को दरवाज़े
के नीचे से खिलाते हैं. मैं अभी दूध लाती हूँ और उसे दरवाज़े के नीचे से अन्दर डाल
देती हूँ. बिल्ली इसे देखेगी और पीने लगेगी.”
सारे लोग हँसने लगे और बोले:
“हुर्रे! शाबाश! इसने बड़ी बढ़िया बात सोची है.”
और सारे बिल्डिंग वालों ने इसी दिन से
दरवाज़े के नीचे से बिल्ली को खिलाना-पिलाना शुरू कर दिया. कोई दरवाज़े के नीचे से
सूप उँडॆल देता, कोई दूध, कोई पानी. छोटे निकोल्का ने दरवाज़े के नीचे से एक पूरी
मछली ही कमरे में घुसा दी. और फिर उसे सीढ़ियों पर एक मरा हुआ चूहा मिला, उसने बड़ी
होशियारी से उसे भी दरवाज़े के नीचे से कमरे में घुसा दिया.
बिल्ली तो खाने-पीने से बेहद ख़ुश थी, और
वह दरवाज़े के नीचे से खुशी से म्याँऊ-म्याँऊ करती.
इस तरह पूरा महीना बीत गया, और आख़िरकार
प्रोफेसर वापस आ गया.
बिल्डिंग
वाली एक बूढ़ी ने उससे कहा:
“
इंजीनियर, तुम्हें तो छह महीने के लिए जेल में डाल देना चाहिए, क्योंकि जानवरों को
इस तरह सताना गुनाह है. जानवरों के साथ और इन्सानों के साथ अच्छा बर्ताव करना
चाहिए. और तुम हो कि अपनी बिल्ली को बिना दाना-पानी के कमरे में छोड़ कर चले गए. वो
मर भी सकती थी, अगर हमारे दिमाग में दरवाज़े के नीचे से उसके लिए दूध उँडेलने का
ख़याल न आया होता. आह, जल्दी से दरवाज़े खोलिए, और देखिए कि आपकी बिल्ली किस हाल में
है. हो सकता है, वो बीमार हो और आपके पलंग पर बुख़ार में पड़ी हो.”
इंजीनियर ने कहा:
“आप किस बिल्ली की बात कर रही हैं? आपको तो
मालूम है कि मेरे पास कोई बिल्ली-विल्ली नहीं है. मेरे पास कभी कोई बिल्ली थी ही
नहीं, तो मैं अपने कमरे में भला किसे बन्द कर सकता था.”
बिल्डिंग वाले बोले:
“हम
कुछ नहीं जानते. बस, इतना जानते हैं कि आपके कमरे में पूरे एक महीने से बिल्ली रह
रही है.”
इंजीनियर ने फ़ौरन दरवाज़ा खोला और वह अन्दर
घुसा, सारे बिल्डिंग वाले भी उसके पीछे पीछे भीतर घुसे.
और क्या देखते हैं कि दीवान पर एक ख़ूबसूरत
लाल बिल्ली लेटी है. देखने में एकदम तन्दुरुस्त और ख़ुश मिजाज़ और वह ज़रा भी दुबली
नहीं हुई थी.
इंजीनियर ने कहा:
“कुछ भी समझ नहीं आ रहा है. ये लाल बिल्ली मेरे
दीवान पर कैसे आई? जब मैं जा रहा था, तब तो ये यहाँ नहीं थी.”
छोटू निकोल्का ने खिड़की की ओर देखते हुए
कहा:
“
वहां देखिए, वेण्टीलेटर खुला है. शायद बिल्ली कार्निस पर घूम रही थी, इस खुले
वेण्टीलेटर पर उसकी नज़र गई और वह कमरे में कूद गई.”
इंजीनियर ने कहा:
“तो
फिर ये वापस क्यों नहीं गई?”
छोटी बच्ची तमारा ने कहा:
“मगर हमने उसे बहुत बढ़िया खाना खिलाया, बस,
इसीलिए उसने जाने का इरादा बदल दिया. उसे यहाँ बहुत अच्छा लगा. “
इंजीनियर ने कहा:
“आह,
कितना बढ़िया, होशियार बिल्ली है! तो, मैं इसे अपने यहाँ रख लेता हूँ.”
छोटी बच्ची तमारा बोली:
“नहीं,
इसे तो मैंने अपने पास रखने का फ़ैसला किया है.”
अब तो बिल्डिंग वाले हँस पड़े और बोले:
“हाँ,
ये बिल्ली तो तमारा की हुई, क्योंकि तमारा ने ही सोचा कि उसे कैसे खाना खिलाया
जाए, और इस तरह उसने इसकी जान बचाई.”
इंजीनियर ने कहा:
“ठीक
है. और मैं, अपनी ओर से तमारा को, इसके अलावा दस संतरे भी देता हूँ, जो मैं साउथ
से लाया हूँ.”
और उसने तमारा को दस संतरे इनाम में दिये.
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